जयप्रकाश विश्वविद्यालय वर्षों से अनियमतताओं के डगर पर 

जयप्रकाश विश्वविद्यालय वर्षों से अनियमतताओं के डगर पर 

जयप्रकाश विश्वविद्यालय वर्षों से अनियमतताओं के डगर पर 

सत्येन्द्र कुमार शर्मा,

प्रधान संपादक

जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा पिछले कई वर्षों से अनियमतताओं के डगर पर दौड़ रहा है।समाजसेवी राजेश्वर कुंवर जलालपुर प्रखंड के किशुनपुर धरान निवासी ने विश्वविद्यालय के अनियमतताओं के संबंध में जो कुछ कहा हूबहू मै उसे आपके समक्ष रख दें रहा हूँ।

"सिंहासन खाली करो कि जनता आती है " की हुंकार से पूरव से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक पूरे भारत वर्ष में सम्पूर्ण क्रांति की ज्वाला फैला देने वाले लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्मभूमि बिहार के छपरा में जयप्रकाश विश्वविद्यालय है जहाँ पढाई परीक्षा और परिणाम छोड़कर सबकुछ होता है. अपनी स्थापना काल से ही इस विश्वविद्यालय पर पढाई विरोधी समूह का वर्चस्व रहा है. 2013 तक इस विश्वविद्यालय में पढाई कमोबेश होती थी किंतु परीक्षा एवं परिणाम अवश्य समय से आते थे. सत्र लगभग नियमित थे।

उसके बाद शुरु हुआ लूट और दलाली का खेल. कई कुलपतियों एवं प्राचार्यो पर घोटाले के आरोप लगे. परीक्षाएं बिलम्बित् होने लगीं. कापियाँ की खरीद में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे. जब  हरिकेश सिंह कुलपति बनकर आए तो उन्होंने पहले दिन कहा था कि  सत्र नियमित होंगे अथवा मैं मरना पसन्द करुंगा. मैं धन्यवाद देना चाहुंगा हरिकेश सिंह को जिन्होंने अपने जाने से पहले लगभग सभी सत्रों को नियमित कर दिया।

राजेश्वर कुंवर

मुझसे एक निजी मुलाकात में उन्होंने कहा था कि " रऊआ खुश बानी नू कि सत्र नियमित हो गईल आ हम भी छपरा से संतुष्ट होके जात बानी. कई गो बाधा कठिनाई के बाद भी सत्र नियमित करे में सफलता मिलल." वर्तमान कुलपति जी के विद्वता पर कोई सन्देह नहीं है किंतु सत्रों का लगातार पिछडते जाना प्रश्नचिन्ह तो खड़ा करता हीं है।

जयप्रकाश विश्वविद्यालय की परीक्षाएं 2018 19 से हीं लम्बित हैं जिसको 2019 2020 2021 में उत्तीर्ण हो जाना चाहिए वे छात्र निराशा में हैं कि रोजगार नहीं मिल पाता तो काश डीग्री भी मिल जाती. राजभवन ने भी सत्रों को अनियमित करने में अहम रोल अदा किया है. रोज रोज नये फरमान रोज रोज  नये आदेश तथा स्थानांतरण का खेल चल रहा है. सुना है वर्तमान कुलपति जी को आर्थिक फैसला लेने के अधिकार से हीं बंचित कर दिया गया है।

जयप्रकाश के  प्रथम शिष्य श्री लालू प्रसाद यादव जी ने इस विश्वविद्यालय की स्थापना की थी और प्रत्यक्ष  एवं परोक्ष रुप से 15 वर्ष बिहार को चलाये. लोकनायक के द्वितीय शिष्य  नीतीश कुमार 16 वर्ष से ज्यादा से बिहार चला रहे हैं और भाजपा भी इसमें भागीदार है. किसी भी सांसद मंत्री विधायक एवं प्रोफेसर के बेटे इस विश्वविद्यालय में पढते हों इसकी कोई सूचना नहीं है. सारण प्रमंडल के छपरा सीवान गोपालगंज तीन जिले के गरीबों के बच्चे बच्चियाँ जयप्रकाश विश्वविद्यालय में पढते हैं तो भला सत्र नियमित होने की चिंता कोई क्यों करेगा. सभी अपनी कुर्सी का आनन्द ले रहे हैं. सुशासन बाबू जाति गणना कराने में व्यस्त है।

लोकनायक आज होते तो इन नेताओं से कुर्सी खाली करने की मांग अवश्य करते. आज जब सम्पूर्ण क्रांति की स्वर्ण जयंती मनाई जा रही है तो कोई जयप्रकाश विश्वविद्यालय की स्थिति सुधरे सत्र नियमित हो इसके लिए भी  प्रयास करेगा  अथवा लोकनायक की मूर्ति पर केवल पुष्प चढाकर  अपने कर्तव्य का अंत समझा जाएगा।

अगर सत्ता में काबिज लोगों की नींद  नहीं टूटेगी तो समय किसी को माफ करने वाला नहीं है. यह उनका निजी विचार हैं।लेकिन अनियमतताओं की कुछ और जानकारी अगले कड़ी में भी जारी किया जाएगा।