सीएचसी में नियमित टीकाकरण को बेहतर तरीके से जीरो डोज प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

सीएचसी में नियमित टीकाकरण को बेहतर तरीके से जीरो डोज प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

सीएचसी में नियमित टीकाकरण को बेहतर तरीके से जीरो डोज प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

P9bihar news 

सत्येन्द्र कुमार शर्मा

सारणl नियमित टीकाकरण व्यक्तिगत और सामुदायिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है। वहीं नियमित टीकाकरण कार्यक्रम को सुदृढ़ करने तथा इसके लक्ष्य को शत प्रतिशत हासिल करने के उद्देश्य से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एकमा के सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

इस अवसर पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ गंगा सागर बिंदु, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ रंजितेश, यूनिसेफ की एसएमसी आरती त्रिपाठी, यूएनडीपी के वीसीसीएम अंशुमान पाण्डेय, बीएचएम वाहिद अख्तर, सिफ़ार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, बीसीएम प्रियंका कुमारी,

यूनिसेफ की बीएमसी मुर्रत जहां, डब्ल्यूएचओ के सुनील कुमार, स्वास्थ्य प्रशिक्षक बिनोद चौधरी, कोल्ड चेन के सर्वेश कुमार सहित स्थानीय स्तर की सभी एएनएम और आशा फेसिलिटेटर प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हुई।

बच्चों का पहचान करना और उनके घर तक पहुंच बनाना मुख्य उद्देश्य: एमओआईसी 
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ गंगा सागर बिंदु ने उपस्थित सभी एएनएम और आशा कार्यकर्ताओ को नियमित टीकाकरण अभियान के संबंध में कहा कि जीरो डोज वाले बच्चे से तात्पर्य यह है कि वैसे बच्चें जो किसी कारणवश सत्र स्थल तक टीकाकारण कराने के लिए पहुंच नही पाते हैं।यह वही बच्चे होते हैं जो एक सप्ताह के उम्र में लगने वाले टीके जैसे- पेंटा 1 नहीं ले पाते हैं।

ऐसे बच्चे आगे चलकर सभी टीकों से वंचित रह जाते हैं। इसी को शत प्रतिशत करने के लिए उन बच्चों का पहचान करना, उनके घर तक पहुंच बनाना और उनको भी नियमित टीकाकरण से आच्छादित करना है। 

जीरो डोज वाले बच्चों कि संख्या को कम करने के लिए विशेष रणनीति के तहत करनी होगी कार्य: डब्ल्यूएचओ
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) एसएमओ डॉ रंजितेश ने कहा कि नियमित टीकाकरण अभियान के तहत एक वर्ष तक का कोई भी बच्चा पेंटावेलेंट का पहला टीका नही लेने वाले को जीरो डोज कहा जाता है। हालांकि जीरो डोज वाले बच्चों कि संख्या को कम करने के लिए विशेष रूप से रणनीति बनाने और इसके लिए प्रत्येक लाभार्थी तक पहुंच बनाने के साथ ही सभी बच्चों का शत प्रतिशत टीकाकरण किस प्रकार से किया जाए,

इसको लेकर कार्यशाला के दौरान एएनएम और आशा कार्यकर्ताओ सहित कई कर्मियों को प्रशिक्षित दिया गया है। क्योंकि नियमित टीकाकरण के प्रतिशत को बढ़ाने के लिए विभिन्न स्तरों स्तर पर एएनएम, आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा नियमित रूप से बैठक आयोजित कर इसे पूरा करने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है।

नियमित टीकाकरण को शत प्रतिशत करने का रखा गया लक्ष्य: यूनिसेफ 
यूनिसेफ की एसएमसी आरती त्रिपाठी ने कहा कि नियमित टीकाकरण के दौरान आने वाली विभिन्न प्रकार की चुनौतियों और उसके समाधान को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ विस्तृत रूप से चर्चा की गई। इसके बाद ही जिले में नियमित टीकाकरण के प्रतिशत को शत प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है।

क्योंकि नियमित टीकाकरण में 12 प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण किया जाता है। इसमें गिरावट होने से जानलेवा बीमारियों के संक्रमण बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। सबसे अहम बात यह है कि छूटे हुए बच्चों में वैक्सीन प्रीवेंटबल डिजिज के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।