कालाजार मुक्त अभियान के तहत सिंथेटिक पाइरोथाइराइड का छिड़काव शुरू
कालाजार मुक्त अभियान के तहत सिंथेटिक पाइरोथाइराइड का छिड़काव शुरू
P9bihar news
सत्येन्द्र कुमार शर्मा
सारणl कालाजार मुक्त करने के लिए जिले के विभिन्न प्रखंड क्षेत्रों के अतिप्रभावित गांवों के लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष रूप से अभियान चलाया जा रहा है। फिलहाल कालाजार के मरीज़ों की संख्या मात्र 32 रह गई हैं। जिसमें विसराल लीशमैनियासिस (वीएल) के 16 और पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) के 16 शामिल है। हालांकि इसकी जागरूकता के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा लगातार बैनर, पोस्टर के साथ ही प्रचार वाहन के माध्यम से गांव के हर गली व चौक चौराहों पर जिलेवासियों को जागरूक किया जाता है।
जिस कारण कालाजार के मामलों में लगातार कमी आ रही है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार ने बताया कि छिड़काव कार्य को शत प्रतिशत कराने को लेकर विभागीय स्तर पर कार्यरत जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार सुधीर कुमार सिंह को परसा और मकेर जबकि वेक्टर रोग नियंत्रण
पदाधिकारी (वीडीसीओ) अनुज कुमार को एकमा, तरैया और इसुआपुर, शशिकांत कुमार को मढ़ौरा, मशरख और नगरा, सुमन कुमारी को मांझी, जलालपुर और दिघवारा, सतीश कुमार को पानापुर, बनियापुर और लहलादपुर, पंकज तिवारी को सोनपुर, गड़खा और दरियापुर, मीनाक्षी सिंह को छपरा सदर और रिविलगंज प्रखंड का पर्यवेक्षीय पदाधिकारी बनाया गया है।
जिले में फिलहाल 32 कालाजार मरीजों का किया जा रहा है इलाज़: वीडीसीओ
वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी (वीडीसीओ) अनुज कुमार ने बताया कि विसराल लीशमैनियासिस (वीएल), पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) और एचआईवी (एड्स) - वीएल मरीजों की बात की जाए तो विगत वर्ष 2021 में 331 थी तो 2022 में 156 जबकि 2023 में 133 मरीजों का शिनाख्त हुई थी।
वहीं वर्ष 2024 में अभी तक मात्र 32 कालाजार मरीजों का इलाज स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जा रहा है। हालांकि जड़ से मिटाने के उद्देश्य से जिले के 204 पंचायतों के 330 राजस्व गांवों में 11, 30, 996 जनसंख्या के 220133 घरों के 710310 कमरों में कालाजार छिड़काव कार्य चल रहा है।
कालाजार के मरीज़ों को प्रोत्साहन राशि के साथ ही किया जाता है जागरूक: डॉ दिलीप कुमार
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार ने बताया कि ज़िले के सभी प्रखंडों में सर्वे के बाद 330 अतिप्रभावित गांवों का चयन किया गया है। जिसमें लगभग 11 लाख, 30 हज़ार, 09 सौ 96 जनसंख्या वाले आक्रांत गांवों में 72 भ्रमणशील टीम के द्वारा सिंथेटिक पाइरोथाइराइड (एसपी) का छिड़काव 25 मई से अगले लगभग 60 से 65 दिनों तक किया जाएगा।
प्रति कालाजार पीड़ित मरीज़ को 7100 रुपये की श्रम-क्षतिपूर्ति राशि भी दी जाती है। यह राशि भारत सरकार के द्वारा 500 एवं राज्य सरकार की ओर से कालाजार राहत अभियान के अंतर्गत मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि के रूप में 6600 सौ रुपये दी जाती है। कालाजार से बचाव के लिए हमलोगों को गर्मी के दिनों में बहुत ज़्यादा सतर्कता बरतनी होगी। क्योंकि यह भी एक तरह से फैलने वाली संक्रामक जैसी बीमारी होती है। जो गर्मी के दिनों में बालू मक्खी के काटने से होती है। इसके लिए हमलोगों को अपने- अपने घरों में साफ सफ़ाई को लेकर विशेष ध्यान देने की जरूरत हैं।
लिशमेनिया डोनी नामक रोगाणु के कारण फ़ैलता है कालाजार: सिविल सर्जन
कालाजार के लक्षण के संबंध में सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि कालाजार रोग लिशमेनिया डोनी नामक रोगाणु के कारण होता है। जो बालू मक्खी के काटने से फैलता है। साथ ही यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी प्रवेश कर जाता है। दो सप्ताह से अधिक बुखार व अन्य विपरीत लक्षण शरीर में महसूस होने पर अविलंब जांच कराना अति आवश्क होता है।
नमी एवं अंधरे वाले स्थान पर कालाजार की मक्खियां ज्यादा फैलती हैं। यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से ज्यादा से बुखार हो, उसकी तिल्ली और जिगर बढ़ गया हो और उपचार से ठीक न हो तो उसे कालाजार हो सकता है। मुख्य रूप से पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) एक त्वचा रोग है जो कालाजार के बाद होता है। वहीं दो सप्ताह से ज्यादा समय से बुखार हो, खून की कमी (एनीमिया) हो,
जिगर और तिल्ल्ली का बढ़ना, भूख न लगना, कमजोरी तथा वजन में कमी होना भी इसके मुख्य लक्षण हैं। सूखी, पतली, परतदार त्वचा तथा बालों का झड़ना भी इसका कुछ लक्षण दिखाई पड़ता है। इसके उपचार में विलंब से हाथ, पैर और पेट की त्वचा काली होने की शिकायतें मिलती हैं।