आंगनबाड़ी केंद्रों पर उत्साह के साथ मना गोदभराई दिवस
- गोदभराई के साथ पोषण की दी गई जानकारी
- गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी है संतुलित आहार
- गर्भवती महिलाओं को आयरन की गोलियां लेनी चाहिए
प्रमोद कुमार
मोतिहारी, 07 मई। जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों पर
मातृ पोषण स्तर बढ़ाने के उद्देश्य से शनिवार को उत्साह के साथ गर्भवती महिलाओं की गोदभराई की रस्म आयोजित की गई। जिले के आदापुर प्रखण्ड के गम्हरिया, भलुवहिया क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 45, 97,138 सहित कई केंद्रों पर सेविका सविता देवी, बेबी श्रीवास्तव, किरण देवी, देवी के सहयोग से गोद भराई रस्म का आयोजन किया गया। जिसमें स्थानीय महिलाओं ने भी बढ चढ़ कर भाग लिया।
7 तारीख को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर होती है गोद भराई रस्म:
आईसीडीएस के डीपीओ शशिकांत पासवान ने बताया कि सरकार बेहतर पोषण के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित करती है। इसके तहत प्रत्येक माह की सात तारीख को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सात से नौ महीने की गर्भवती महिलाओं की गोद भराई कराई जाती है। गोदभराई दिवस मनाने को लेकर विभाग का उद्देश्य महिलाओं में पोषण को लेकर जागरूकता बढ़ाना है। क्योंकि गर्भावस्था में महिलाओं को खान-पान द्वारा अपना व अपने गर्भस्थ बच्चे का भी ध्यान रखना है। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था में प्रतिदिन हरी साग-सब्जी, मूंग का दाल, सतरंगी फल, सूखे मेवे एवं दूध, सप्ताह में दो से तीन बार अंडे, मांस, महिलाओं को खाना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं को आयरन की गोलियां लेनी चाहिए:
जिला समन्वयक अमृता श्रीवास्तव ने बताया महिलाओं में खून की कमी से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को बच्चे को जन्म देने से पहले 180 आयरन की गोलियां लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिला को उपहारस्वरूप पोषण की पोटली दी गई है। गर्भवती महिलाओं को चुनरी ओढ़ाकर और टीका लगाकर गोदभराई रस्म पूरी की गई। वहीं सभी महिलाओं को अच्छी सेहत के लिए पोषण की आवश्यकता व महत्व के बारे में जानकारी दी गई, कि सुरक्षित प्रसव के लिए उचित पोषण बेहद जरूरी है।
स्तनपान का बताया गया महत्व:
आंगनबाड़ी सेविकाओं ने गोद भराई के दौरान महिलाओं को बताया कि शिशु के जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा-पीला दूध बच्चे को पिलाना चाहिए। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। बच्चों को छह माह तक केवल माँ का दूध दें। यह बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता है। 6 माह के बाद बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास काफी तेजी से होता है। इस दौरान स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की काफी जरूरत होती है। घर का बना मसला व गाढ़ा भोजन ऊपरी आहार की शुरुआत के लिए जरूरी होता है। सामान्य प्रसव के लिए गर्भधारण होने के साथ ही महिलाओं को चिकित्सकों से समय पर जाँच करानी चाहिए।