शिशुओं को निमोनिया से बचाव के लिए पीसीवी का टीका जरूरी
शिशुओं को निमोनिया से बचाव के लिए पीसीवी का टीका जरूरी
सत्येन्द्र कुमार शर्मा, सारण :-
निमोनिया से बचाव के लिए संपूर्ण टीकाकरण के साथ सतर्कता भी जरूरी है।एसी व कूलर में बच्चों को अधिक देर तक रखने के कारण निमोनिया संक्रमण के खतरे की संभावना बढ़ती है।
छपरा जिले में लगातार मौसम में बदलाव हो रहे हैं। कभी, उमस भरी गर्मी तो कभी बारिश। ऐसे में लोग बच्चों को एसी या कूलर में रखना पसंद करते हैं। लेकिन, इस दौरान शिशुओं में निमोनिया के संक्रमण की संभावना रहती है। जिसको देखते हुए बदलते मौसम में निमोनिया से बचाव के लिए शिशुओं और बच्चे का विशेष ख्याल रखने की जरूरत है। दरअसल, बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है।
जिसके कारण इस बीमारी की चपेट में उनके आने की संभावना अधिक रहती है। क्योंकि, निमोनिया सांस से जुड़ी गंभीर बीमारी है। यह बैक्टीरिया, वायरस और फंगल की वजह से फेफड़ों में संक्रमण से होता है। इस वजह से बच्चों को सांस लेने में काफी तकलीफ होती है। इस बीमारी से बचने का एक मात्र उपाय न्यूमो कॉकल वैक्सीन (पीसीवी) का टीकाकरण ही है।
सभी पीएचसी में उपलब्ध है पीवीसी का टीका :
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. चंदेश्वर सिंह ने बताया, निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण सर्दी-खांसी जैसे हो सकते हैं। ज्यादातर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग इससे जल्दी ग्रसित हो जाते हैं। जिन बच्चों को पीवीसी का टीका नहीं पड़ा है, उन बच्चों को इस बीमारी की चपेट में आने की संभावना अधिक रहती है। इस बीमारी में मवाद वाली खांसी, तेज बुखार एवं सीने में दर्द समेत अन्य परेशानी होती है।
इस बीमारी को टीकाकरण से रोका जा सकता है। इसलिए, अपने बच्चों को संपूर्ण टीकाकरण के अंतर्गत स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध निःशुल्क पीवीसी का टीका निश्चित रूप से लगवाएं। वहीं, उन्होंने बताया, बच्चे को जन्म के पश्चात दो साल के अंदर सभी तरीके के पड़ने वाले टीके जरूर लगवानी चाहिए। इससे बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत तो होती ही है, इसके अलावा वह 12 से अधिक प्रकार की बीमारियों से भी दूर रहता है।
निमोनिया के ये हैं प्रारंभिक लक्षण :
निमोनिया का प्रारंभिक लक्षण बुखार के साथ पसीना एवं कंपकपी होना, अत्यधिक खांसी में गाढ़ा, पीला, भूरा या खून के अंश वाला बलगम आना, तेज-तेज और कम गहरी सांस लेने के साथ सांस का फूलना ( जैसे कि सांस लेने के दौरान आवाज होना), होंठ या अंगुलियों के नाखून नीले दिखाई देना, बच्चों की परेशानी व उत्तेजना बढ़ जाना है।
निमोनिया का प्रारम्भिक इलाज सीने का एक्स-रे करने के बाद क्लीनिकल तरीके से शुरू होता है। निमोनिया माइक्रो बैक्टीरिया वायरल, फंगल और पारासाइट की वजह से उत्पन्न संक्रमण की वजह से होता है। इसका संक्रमण सामुदायिक स्तर पर भी हो सकता है।
निमोनिया से बचाव का उपाय है टीकाकरण :
ऐसे तो निमोनिया से बचाव का एक मात्र उपाय टीकाकरण ही है। यह एक सांस संबंधी बीमारी है, इसलिए कुछ सावधानी बरतने के बाद काफी हद तक इसके संक्रमण से बचा जा सकता है। इसके लिए नवजात एवं छोटे बच्चों के रखरखाव, खानपान एवं कपड़े पहनाने में सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
सर्दी के मौसम में हमेशा बच्चों को गर्म कपड़े पहनाने एवं खाने- पीने में गर्म पदार्थो का ही इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ हीं वैसे लोगों के संपर्क से दूर रखने की आवश्यकता है, जिन्हें पहले से सांस संबंधी बीमारी हो। इसके साथ बुजुर्गों सहित अन्य लोगों को भी काफी सावधानी बरतने की जरूरत है।