भारतीय संस्कृति और संस्कारों का अभिन्न अंग है योग
भारतीय संस्कृति और संस्कारों का अभिन्न अंग है योग
P9bihar news
प्रमोद कुमार शर्मा
मोतिहारीl
योग साधारण व्यायाम नहीं है,बल्कि एक नवीन जीवन पद्धति को स्थापित करने का प्रभावकारी साधन है। यह एक ऐसी जीवन शैली है,जिसमें जीवन की बाह्य एवं आन्तरिक वास्तविकताओं का सुन्दर संयोग होता है।
उक्त विचार शुक्रवार को स्थानीय महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय में अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आयोजित सामान्य योगाभ्यास शिविर में सम्मिलित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि योग भारतीय संस्कृति और संस्कारों का अभिन्न अंग है। यह भारत का बहुत बड़ा अविष्कार है जो सम्पूर्ण मानवता के लिए उपयोगी है। शरीर का मन से,मन का आत्मा से और आत्मा का परमात्मा से मिलन ही योग है। योग सम्यक् जीवन का विज्ञान है,अतः इसका समावेश हमारे जीवन में एक नियत दैनिक दिनचर्या के रूप में होना चाहिए।
इस अवसर पर योग शिक्षिका नीतू सिंह एवं माधुरी मिश्रा ने प्रतिभागियों को योगाभ्यास कराया।मौके पर सुधीर दत्त पाराशर,रुपेश कुमार ओझा,कृष्ण कुमार,राकेश कुमार तिवारी, आलोक चन्द्रा,सुधाकर पाण्डेय,सुजीत मिश्रा,कुमारी पूनम,प्रदीप कुमार,डा• नितेश पाण्डेय,अरुण तिवारी,सुनील उपाध्याय सहित वेद विद्यालय के छात्र व आसपास के अन्य लोग मौजूद थे।