औद्योगिक क्रांति का जेहाद छेड़ने के उद्देश्य से पार्षद चुनाव के मैदान में :-- संजय
सत्येन्द्र कुमार शर्मा
सारण :- औद्योगिक क्रांति के उद्देश्य से बिहार विधान परिषद के चुनाव में बतौर एक प्रत्याशी ने उक्त घोषणा का विगुल फुकं रहे हैं।
विधानपार्षद प्रत्याशी संजय सिंह का कहना है कि जब कुछ लोग पूछते हैं कि उद्योगक्रान्ति की मुहीम कितना फर्क डाल पाएगी और कैसे बिहार में यह मुहीम समृद्धि का प्रवेशद्वार बना पाएगा।
दरअसल, औद्योगिक क्रांति के माध्यम से रोजगार सृजन और आर्थिक रूप से बिहार को सशक्त बनाना बेहद जरूरी और बहुत पहले ही उठाया जाने वाला कदम होना चाहिए था लेकिन अफसोस कि इस पर सोचने की बजाय हम 'मैन पॉवर सप्लाई' करने वाले राज्य के तौर पर देशभर में पहचाने जाने लगे।
उनका कहना है कि गरीबी और जनसंख्या को बिहार की कमजोरी की तरह प्रचारित और प्रसारित किया गया और आज भी किया जा रहा है। अभी भी हमारे नेता पिछड़ेपन को फैक्टर बनाकर विशेष राज्य का दर्जा हासिल करने के लिए उठापटक कर रहे हैं
जबकि होना यह चाहिए कि हम अपने कमजोरी को अपनी ताकत बताकर निवेश को आकर्षित करते। कृषि आधारित उद्योगों का स्कोप बिहार में काफी ज्यादा है और यहां की मिट्टी काफी उपजाऊं है। लोग मेहनती है और पानी की कमी भी नहीं है।
कृषि आधारित औद्योगिक इकाइयों की स्थापना से हमारे पास अपना 'उत्पाद' होगा जिसे सप्लाई चेन के माध्यम से देशभर के बाजारों में बेचा जा सकता है। ट्रेड होगा तो रुपये भी आएंगे। राज्य की इकोनॉमिकल कंडीशन भी दुरुस्त होगी। फिलहाल आज हमारा बिहार एक बाजार हैं और हम उपभोक्ता है।बिहार एक उपभोक्ता राज्य हैं जो बनाता कुछ नहीं है बल्कि सब बाहर से मंगाता है। अब सोचिए ऐसी स्थिति में राज्य का विकास होना संभव ही नहीं लगता है।
विधानपार्षद प्रत्याशी संजय सिंह का कहना है कि औद्योगिक क्रांति के माध्यम से सारण में लघु एवं कुटीर उद्योगों की स्थापना के माध्यम से हम छोटी-छोटी इकाइयों को अपने घरों में लगाकर व्यापार शुरू कर सकते हैं। दैनिक उपयोगी वस्तुओं के निर्माण से ट्रेड होगा और आर्थिक आवाजाही बढ़ेगी।
इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ेगा, लाइफ स्टाइल बदलेगी, माइंडसेट बदलेगा, बिहार बदलेगा और तरक्की करेगा। आप सभी से अनुरोध है कि मेरे इस विज़न को सपोर्ट करिए, बिहार को सपोर्ट कीजिये। यह लड़ाई मेरी नहीं हम सबकी है।