डॉ विश्वेश वाग्मी को भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद् से स्वीकृत हुई शोध परियोजना

डॉ विश्वेश वाग्मी को भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद् से स्वीकृत हुई शोध परियोजना

डॉ विश्वेश वाग्मी को भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद् से स्वीकृत हुई शोध परियोजना

P9bihar news 


प्रमोद कुमार 
मोतिहारी,पू०च०। 
महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में सहायक आचार्य डॉ. विश्वेश वाग्मी को भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद् (ICPR), नई दिल्ली से एक बृहद् शोध परियोजना स्वीकृत हुई है। उल्लेखनीय है कि डॉ. विश्वेश को यह परियोजना  राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उचित क्रियान्वयन की दिशा में कार्य करने हेतु प्रदान गई है।

स्वतन्त्र भारत के शैक्षिक इतिहास में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पहली ऐसी शिक्षा नीति है। जिसे सनातन भारतीय ज्ञान-परम्परा के आलोक में विकसित किया है। इस शिक्षा नीति का स्पष्ट मन्तव्य है कि यदि भारत को वैश्विक महाशक्ति के रूप में विश्वगुरु के रूप में स्वयं को प्रतिष्ठापित करना है तथा साथ ही राष्ट्रीय गौरव, आत्मविश्वास, आत्मज्ञान, परस्पर सहयोग और एकता की दृष्टि से भारत को सतत ऊँचाईयों तक ले जाना है तो भारतीय दार्शनिक और सांस्कृतिक विरासत को वर्तमान भारतीय शिक्षण-व्यवस्था का आधार बनाना होगा।

क्योंकि भारतीय मूल्यों से विकसित शिक्षा प्रणाली ही भारत को जीवन्त और न्यायसंगत ज्ञान समाज में परिवर्तित कर सकती है। इस दृष्टि से डॉ. विश्वेश वाग्मी आगामी तीन वर्षों तक वैदिक शिक्षा दर्शन के आधार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अभीष्ट लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में कार्य करेंगे।इस अवसर पर केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आनन्द प्रकाश ने डॉ. वाग्मी को बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

इस उपलब्धि पर मानविकी एवं भाषा संकाय के अध्यक्ष प्रो. प्रसून दत्त सिंह, कुलानुशासक प्रो. प्राणवीर सिंह, प्रो. राजीव कुमार, प्रो. पवनेश सिंह, प्रो. विकास पारीख, प्रो. आशीष श्रीवास्तव, प्रो. सुनील महावर सहित विश्वविद्यालय के समस्त आचार्यों अधिकारियों एवं विद्यार्थियों ने डॉ. वाग्मी को बधाई दी ।


ध्यातव्य है की डॉ. विश्वेश वाग्मी अपने लेखन और व्याख्यानों के माध्यम से भारतीय ज्ञान परम्परा एवं संस्कृति के प्रचार प्रसार में सतत अपना योगदान दे रहे हैं। मोतिहारी नगर के गणमान्य व्यक्तियों ने भी इस अवसर पर डॉ. विश्वेश की साहित्य साधना की प्रशंसा करते हुए उन्हें अनेक बधाइयां दी।