विपरीत परिस्थितियों का सामना आत्मबल से करे-दीपशिखा

विपरीत परिस्थितियों का सामना आत्मबल से करे-दीपशिखा

प्रमोद कुमार 

मोतिहारी,पू०च०।
प्रबंध विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित विपरीत परिस्थितियों मे कैसे उबरे"ई-व्याख्यान में  आमंत्रित दीपशिखा (सीनियर डिप्टी कलेक्टर, बिहार प्रशासन सेवा, पूर्वी चम्पारण मोतिहारी) ने  उद्बोधन में कहा, वर्तमान समय में कॉलेज के छात्र आमतौर पर विभिन्न प्रकार के मानसिक तनाव एवं स्वास्थ्य विदारक गतिविधियों से प्रभावित है

साथ ही छात्रों को वयस्कता के कौशल और संज्ञानात्मक परिपक्वता में महारत हासिल किए बिना अधिक वयस्क जैसी जिम्मेदारियों को निभाने के कार्य का सामना करना पड़ता है।

छात्रों के इस समूह को शैक्षणिक आवश्यकताओं के अलावा काम और परिवार की मांगों को पूरा करने का भी सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं के साथ कॉलेज के छात्रों के महत्वपूर्ण पहलुओं को रेखांकित किया गया है, जैसे उपचार में माता-पिता को शामिल करने का महत्व, अन्य प्रदाताओं एवं शिक्षकों के साथ संवाद करना, और पालन बढ़ाने के लिए आपसी पारिवारिक सम्बन्ध बनाये रखना बहुत आवश्यक है।

साथ ही विकासात्मक चरण एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की विशिष्ट मूल्यों से परिचित होने एवं, उनकी बेहतर तरीके से अभिप्रेरित करने में सक्षम बनाना है। इसके लिए आपसी समझ और स्व-अभिप्रेरण बहुत आवष्यक है। उन्होनें ये भी कहा, परिवारिक सदस्यों के व्यवहार एवं सम्प्रेषण के द्वारा, समाजिक-शैक्षिक संचार एवं व्यवहार के साथ समस्याओं की एक परिवर्तनीय प्रस्तुति द्वारा व्यक्तिगत कान्फ्लिक्ट को कम करके छात्रों के विभिन्न प्रकार के मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है

, जो हमारी अपनी संज्ञानात्मक, भावनात्मक और व्यवहारिक प्रक्रियाओं को देखने और मूल्यांकन करने की क्षमता है। उन्होंने रेखांकित किया कि विपरीत परिस्थितियों का आत्मबल से डटकर सामना करें।ई-व्याख्यान के संरक्षक एवं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा नेें प्रबंधन विज्ञान विभाग को सफल कार्यक्रम के लिए सराहना व्यक्त की और उन्होंने कहा भविष्य में ऐसे कार्यक्रम होते रहें।

कार्यक्रम के संयोजक और पंडित मदन मोहन मालवीय स्कूल आॅफ कामर्स एवं प्रबंध विज्ञान के डीन प्रोफेसर पवनेश कुमार नेे मनोविज्ञान एवं योगसाधना के दृष्टि में, इसे आत्म-अभिप्रेरण के लिए उपयोग किए जाने वाले शब्दों में ‘चिंतनशील जागरूकता’ और ‘चिंतनशील चेतना’ को भी आवश्यक बताया जो आत्म-अवलोकन से उत्पन्न होती हैं जो स्वस्थ मस्तिष्क के लिए जरूरी है, जिससे बहुआयामी कार्य करने के लिए स्वस्थ्य मस्तिष्क एवं सक्रिय दिमाग को बनाये रख सकते है।

कार्यक्रम के सह संचालक डॉ अलका ललहाल ने आमंत्रित विशेषज्ञ वक्ता को धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम में प्रबंध विज्ञान की डाॅ सपना सुगन्धा, डाॅ स्वाति कुमारी,  एवं कमलेश कुमार, अरूण कुमार तथा विश्वविद्यालय अन्य शैक्षिक सदस्यों एवं 100 से ज्यादा विद्यार्थी, और शोधार्थीयों ने भाग लिया।