मुक्त रक्सौल बनाने की दिशा में आगे बढ़ने की कवायद

मुक्त रक्सौल बनाने की दिशा में आगे बढ़ने की कवायद

प्लास्टिक के कैरी बैग की जगह कपड़े के थैलों का प्रयोग करने की अपील 

   
 प्रकाश कुमार
रक्सौल।
स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 के ब्रांड एम्बेसडर डॉ. स्वयंभू शलभ ने आज रक्सौल नगरवासियों से प्लास्टिक मुक्त रक्सौल बनाने की दिशा में साथ मिलकर आगे बढ़ने की अपील की। अपनी अपील में डॉ. शलभ ने कहा कि आज हमारे दैनिक उपभोग की वस्तुओं में प्लास्टिक का दखल इतना बढ़ गया है कि हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों पर खतरा मंडराने लगा है। कुछ चीजें हम जानबूझकर इस्तेमाल कर रहे हैं कुछ अनजाने में।

जाने अनजाने प्रयोग की जा रही इन चीजों से ऐसी समस्याएं जन्म ले रही हैं जिसका हमें खुद भी अंदाजा नहीं है। उन्होंने आगे बताया कि प्लास्टिक एक ऐसी चीज है जो मिट्टी में भी नष्ट नहीं होती। हमारे नालों के जाम होने का मुख्य कारण भी हमारे द्वारा फेंके गए प्लास्टिक ही होते हैं। कई दिनों तक पानी में रहने पर उसमें कीड़े लग जाते हैं और बदबू पैदा होने लगती है। नदियां भी प्लास्टिक प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित होती हैं।

जलीय जीवों की मौत का कारण भी यही प्लास्टिक बनते हैं।इसके अलावा जलने पर वे ऐसी जहरीली गैस छोड़ते हैं जो हमारे श्वसन अंगों के साथ पर्यावरण को भी बुरी तरह नुकसान पहुंचाते हैं। यह समय की मांग है कि प्लास्टिक मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में साथ मिलकर आगे बढ़ा जाय ताकि पर्यावरण के साथ साथ जीव जंतुओं के अस्तित्व को भी बचाया जा सके।डॉ. शलभ ने लोगों से आग्रह किया है कि प्लास्टिक के कैरी बैग की जगह कपड़े के थैलों का प्रयोग करने की आदत डालें। कहीं भी जाते वक्त कपड़े के थैले साथ रखें।

शादी विवाह अथवा किसी समारोह में सबसे अधिक प्लास्टिक वस्तुओं का प्रयोग किया जा रहा है जिसमें प्लेट, गिलास और कप होते हैं। हर काम में डिस्पोजल वस्तुओं का इस्तेमाल हमें बीमार बना रहा है। हमें फिर से मिट्टी और धातु के बर्तनों की ओर लौटना होगा।

बिहार में सिंगल यूज पॉलिथीन और थर्मोकोल को बैन किये जाने के संदर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि आगामी 1 जुलाई 2022 से पूरे बिहार में सिंगल यूज पॉलिथीन और थर्मोकोल को बैन कर दिया जाएगा।प्रतिबंधित सामग्रियों में प्लास्टिक स्टिक वाले ईयरबड्स, गुब्बारे में लगने वाले प्लास्टिक स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, सजावट में काम आने वाले थर्माकोल आदि शामिल हैं।

इसके साथ ही प्लास्टिक कप, प्लेट, गिलास, कांटा, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे जैसी केटलरी आइटम, मिठाई के डिब्बों पर लगाई जाने वाली प्लास्टिक, प्लास्टिक के निमंत्रण पत्र, 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले पीवीसी बैनर आदि पर भी प्रतिबंध रहेगा। इसका उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। इसमें उत्पादों को सीज करना, पर्यावरण क्षति को लेकर जुर्माना लगाना, इनके उत्पादन से जुड़े उद्यमों को बंद करना जैसी कार्रवाई शामिल है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सभी उत्पादकों, स्टॉकिस्ट, दुकानदारों, ई-कॉमर्स कंपनियों, स्ट्रीट वेंडर, मॉल, मार्केट, शॉपिंग सेंटर, सिनेमा हॉल, टूरिस्ट लोकेशन, स्कूल, कॉलेज, ऑफिस कॉम्प्लेक्स, अस्पताल व अन्य संस्थानों व आम लोगों को इन आइटमों के उत्पादन, वितरण, बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया है। वे 30 जून 2022 तक अपना स्टॉक खत्म करना सुनिश्चित करें ताकि एक जुलाई से पूरी तरह से पाबंदी को लागू किया जा सके।

डॉ. शलभ ने आगे कहा कि सरकार द्वारा लगाई गई इन पाबंदियों को कारगर तरीके से लागू करने और शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए हमें अपने आसपास के लोगों को प्लास्टिक की समस्याओं एवं इसके दुष्प्रभावों के बारे में बताते हुए उन्हें अपने घरेलू इस्तेमाल में प्लास्टिक के अन्य विकल्पों के बारे में भी बताना होगा।

उन्हें बताना होगा कि प्लास्टिक का न्यूनतम प्रयोग हमारे जीवन को सुरक्षित रखने के साथ साथ हमें पर्यावरण संकट से भी छुटकारा दिला सकता है और इसे अपने व्यवहार और आदत में शामिल करने के लिए केवल एक छोटे से संकल्प की आवश्यकता है। हम सभी इस अभियान का नायक बनें और साथ मिलकर प्लास्टिक मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ें।