आस्थाचलगामी भास्कर को व्रतियों ने दिया अर्ग,

आस्थाचलगामी भास्कर को व्रतियों ने दिया अर्ग,

प्रमोद कुमार 

मोतिहारी। छठ पूजा साल भर में 2 बार की जाती है। वही आस्था का महापर्व  चैती छठ पूजा नहाए खाए के साथ शुरू हो जाती है। छठ पूजा चैत्र मास शुक्ल पक्ष और कार्तिक मास में की जाती है। छठ पूजा चार दिवसीय त्यौहार है। जिसमें साफ सफाई स्वच्छता पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। छठ पूजा को आस्था का महापर्व कहा जाता है।

छठ पूजा में भगवान भास्कर की आराधना एवं पूजा की जाती है। सच्ची श्रद्धा एवं भक्ति से पूजा करने पर षष्टि माता भगवान भास्कर अपने बच्चों को उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हुए हर प्रकार से रक्षा करते हैं। चैती छठ व्रत चैत मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से नहाए खाए के साथ शुरू होती है

जो चार दिवसीय आस्था का महापर्व है। वही चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना होता है। ऐसी मानता है कि छठ पर्व के दौरान भगवान सूर्य को अर्घ देने से घर में सुख शांति समृद्धि निरोग्यता यश बल बुद्धि विद्या की प्राप्ति होती है। वही खरना के दिन व्रत करने वाले सुबह से शाम तक निर्जला व्रत रखती है। वहीं शाम में बनी प्रसाद को भगवान को चढ़ा कर पूजा कर ग्रहण करती है ।उसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। वहीं तीसरे दिन आस्थाचल गामी सूर्य को अर्ग दिया जाता है।

वहीं चौथे दिन उगते सूरज को अरग देने के बाद व्रत समाप्त हो जाता है। वही छोटा बरियारपुर सोनिया नगर मैं समाजसेवी नितेश्वर दुबे के घर पर चैती छठ व्रत नीतू दुबे दूसरे वर्ष कर रही हैं। श्री दुबे ने कहा कि छठी माता की कृपा से सभी मुरादें पूर्ण होती है। परिवार में खुशहाली निरोग्यता आती है।

मौके पर देवेंद्र द्विवेदी ,उर्मिला देवी, कशिश, आकृति ,नमन, निशी कुमारी, शशांक मणि त्रिपाठी ,मनीषा त्रिपाठी, अशोक तिवारी रजनी तिवारी, सानवी, श्री दिव्यांशी मिस्टी, माया देवी, रानी देवी और छठ व्रती मौजूद थे।