एक दिवसीय सेमिनार का हुआ आयोजन
शशांक मणि त्रिपाठी रिपोर्टर
मोतिहारी।मुंशी सिंह महाविद्यालय के स्नातकोत्तर अंग्रेजी विभाग के तत्वावधान में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया ।
जिसका उद्घाटन विधिवत दीप प्रज्ज्वलित कर जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने किया। वही सेमिनार का विषय,"जॉर्ज ऑरवेल के उपन्यास और साहित्यिक कृतियों की प्रासंगिकता था।
इस अवसर पर अपना उद्घाटन वक्तव्य देते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि इस तरह की अकादमिक गतिविधियां निरंतर जारी रखनी चाहिए। शिक्षकों के लेखन और रिसर्च से ही समाज को दशा और दिशा मिलती रही है।उन्होंने आने वाले कुछ ही दिनों में जॉर्ज ऑरवेल से संदर्भित कार्यक्रम के आयोजन की भी बात कही।
उन्होंने महाविद्यालय की शैक्षिक गतिविधियों को तेज़तर करने और जिला प्रशासन द्वारा प्रतियोगी छात्रों के लिए गठित"प्रयास"संस्था का भी जिक्र किया और कहा कि इससे उन छात्रों को अधिकारियों द्वारा समय समय पर मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा।
ऑरवेल जन्म स्थल को विकसित करने का भी उन्होंने आश्वासन दिया।इसके पूर्व अपने स्वागत उद्बोधन में प्राचार्य प्रो.डॉ अरुण कुमार ने कहा कि इस ऐतिहासिक महाविद्यालय के प्रति जिलाधिकारी का प्रारंभ से ही असीम अनुराग रहा है।
करोड़ों रुपए की लागत से महाविद्यालय के खेल मैदान में वर्ल्ड क्लास सिंथेटिक ट्रैक और बहुउद्देशीय भवन के निर्माण की दिशा में जिलाधिकारी के प्रयत्न अत्यंत सराहनीग हैं।उन्होंने संगोष्ठी के उद्घाटन हेतु जिलाधिकारी के प्रति अपना विनम्र आभार प्रकट किया।विषय प्रवेश कराते हुए संगोष्ठी के समन्वयक सह अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो.मो.एकबाल हुसैन ने कहा कि महात्मा गांधी के आगमन के लगभग 14वर्ष पूर्व चंपारण की जरखेज जमीन पर मिलेनियम रायटर जॉर्ज ऑरवेल का जन्म अंग्रेजी साहित्य की एक युगांतरकारी घटना थी।
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के डॉ.उमेश महापात्र ने कहा कि ऑरवेल मूल रूप से मानवतावादी थे। उन्होंने ऑरवेल के प्रसिद्ध निबंध"शूटिंग ऐन एलिफैंट"को उद्धृत करते हुए उन अंग्रेज अधिकारियों की पीड़ा को भी बताया जो उन्हें भारत और बर्मा में महसूस हुई थी।
मुख्य वक्ता जीवछ महाविद्यालय,मोतीपुर के प्राचार्य सह अंग्रेजी भाषा के विद्वान प्रो.डॉ.संजीव कुमार मिश्रा ने ऑरवेल को संसार के एक महान और सबसे अधिक प्रभावशाली लेखकों में से एक बतलाया एवम उनकी कृतियों को समकालीन दौर के लिए भी अत्यंत प्रासंगिक बतलाया।
इस अवसर पर पंडित उगम पांडेय कॉलेज के प्राचार्य डा.कर्मात्मा पांडेय भी उपस्थित रहे। एस. एन. एस.कॉलेज के प्राचार्य डॉ.विपिन कुमार राय ने ऑरवेल की प्रसिद्ध कृति "एनिमल फॉर्म"के पात्रों के माध्यम से उनके साहित्यिक अवदा नो को गहरे तक रेखांकित किया।
वही श्रीकृष्ण महिला महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ.चंचल रानी ने आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से परिसर में शैक्षिक माहौल का पर्याप्त विकास होता है।सुप्रसिद्ध अंग्रेजी पत्रकार सागर सूरज ने ऑरवेल के साहित्यिक पक्ष को गहरे तक रेखांकित करते हुए उनकी कृतियों पर विमर्श प्रस्तुत किया।रोटेरियन देवप्रिय मुखर्जी ने ऑरवेल की जन्मस्थली के विकास एवं इस तरह के विमर्शों के द्वारा उनके अवदानों की चर्चा की।
इसके पूर्व जिलाधिकारी ने प्रो.एकबाल हुसैन द्वारा संपादित पुस्तक"मेकिंग आर्ट आउट ऑफ पॉलिटिक्स"का लोगों से खचाखच भरे प्रशाल में लोकार्पण किया।
इस अवसर पर अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ.रेवती रमण द्वारा लिखी पुस्तक"वाटर क्राइसिस इन इंडिया"नामक पुस्तक जिलाधिकारी को भेंट की गई ।
प्राचार्य प्रो.अरुण कुमार ने भी अपनी पुस्तक"हिंदी गजल"उन्हें भेंट की।मौके पर डॉ.विपुल वैभव, डॉ.शफीकुर्रहमान, डा.अमित कुमार, डा.शिखा राय,प्रो,.अमरजीत कुमार चौबे, संस्कृति कर्मी संजय पाण्डेय, डॉ.मयंक कपिला, डा.मशहूर अहमद,लेफ्टिनेंट(डॉ.),नरेंद्र सिंह सहित भारी संख्या में छात्र छात्राएं, एन.सी.सी.कैडेट्स एवम राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक मौजूद रहे।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन अंग्रेजी विभाग के डॉ.अनिल कुमार ने किया और ऐसे बौद्धिक और शैक्षिक विमर्श के लिए प्राचार्य और समन्वयक एकबाल हुसैन की सराहना की।