कल होगी माँ दुर्गा की तीसरी शक्ति चन्द्रघण्टा की उपासना 

कल होगी माँ दुर्गा की तीसरी शक्ति चन्द्रघण्टा की उपासना 

कल होगी माँ दुर्गा की तीसरी शक्ति चन्द्रघण्टा की उपासना 

 P9bihar news   

प्रमोद कुमार 
मोतिहारी,पू०च०।
भारतीय दर्शन की आदि शक्ति प्रकृति है। प्रकृति को ही माया,महामाया अथवा शक्ति कहा गया है। समस्त संसार में इसी की उपासना होती है। विश्व की उत्पत्ति का कारण मानकर ही शक्ति की पूजा-अर्चना होती रही है। ईश्वर ने स्त्रीत्व को उत्पन्न किया है,उसी को प्रकृति कहते हैं। इसी कारण माँ दुर्गा को आदि शक्ति के रूप में माना गया है।माँ दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चन्द्रघण्टा है।

नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन किया जाता है। इनका यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र है,इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके दस हाथ हैं तथा दसों हाथों में खड्ग आदि अस्त्र-शस्त्र आदि विभूषित है। इनका वाहन सिंह है।उक्त बातें महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने कही।

उन्होंने बताया कि माँ चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएं विनष्ट हो जाती है। इनकी आराधना सद्यः फलदायी है। इनका उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। इनकी आराधना से भक्तों में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का भी विकास होता है। भक्त के कष्टों का निवारण ये अत्यन्त शीघ्र कर देतीं हैं। इनका पूजन हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिए परम कल्याणकारी व सद्गति को देने वाला है। 


चंद्रघंटा देवी का ध्यान  : -


पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। 
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता। नवरात्र के तीसरे दिन देवी को गाय का दूध और दूध से निर्मित वस्तु का भोग लगाने का विधान है।