गर्भवती महिलाओं की गोदभराई की रस्म आयोजित की गयी

गर्भवती महिलाओं की गोदभराई की रस्म आयोजित की गयी

प्रमोद कुमार 

मोतिहारी,पू०च०। 
मातृ पोषण स्तर बढ़ाने के उद्देश्य से गुरुवार को जिले के कई आंगनबाड़ी केन्द्रों पर गर्भवती महिलाओं की गोदभराई की रस्म आयोजित की गयी। जिले के रक्सौल के आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 159 पर पर्यवेक्षिका मीरा कुमारी, सेविका सुनीता देवी के सहयोग से गोद भराई रस्म का आयोजन किया गया। जिसमें स्थानीय महिलाओं ने भी भाग लिया।सीडीपीओ रीमा कुमारी ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को पोषक आहार वितरण के साथ बेहतर पोषण और प्रसवपूर्व जांच की जानकारी दी गई।

ताकि जच्चा -बच्चा दोनों स्वस्थ रहें। गर्भधारण में किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।आईसीडीएस के डीपीओ शशिकांत पासवान ने बताया कि सरकार बेहतर पोषण के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित करती है। इसके तहत प्रत्येक माह की सात तारीख को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सात से नौ महीने की गर्भवती महिलाओं की गोद भराई कराई जाती है। गोदभराई दिवस मनाने को लेकर विभाग का उद्देश्य महिलाओं में पोषण को लेकर जागरूकता बढ़ाना है। क्योंकि गर्भावस्था में महिलाओं को खान-पान द्वारा अपना व अपने गर्भस्थ बच्चे का भी ध्यान रखना है।

उन्होंने बताया कि गर्भावस्था में प्रतिदिन हरी साग-सब्जी, मूंग का दाल, सतरंगी फल, सूखे मेवे एवं दूध, सप्ताह में दो से तीन बार अंडे, मांस, महिलाओं को खाना चाहिए।सीडीपीओ  ने बताया कि जिन महिलाओं में खून की कमी हो, उन गर्भवती महिलाओं को बच्चे को जन्म देने से पहले 180 आयरन की गोलियां लेनी चाहिए। गोदभराई उत्सव के दौरान लाभार्थियों को पोषण से संबंधित विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। मंगल गीतों से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया और गर्भवती महिला को उपहारस्वरूप पोषण की पोटली दी गई है। जिसमें गुड़, चना, हरी पत्तेदार सब्जियां, आयरन की गोली, पोषाहार व फल आदि शामिल थे।

गर्भवती महिलाओं को चुनरी ओढ़ाकर और टीका लगाकर गोदभराई रस्म पूरी की गई। वहीं, सभी महिलाओं को अच्छी सेहत के लिए पोषण की आवश्यकता व महत्व के बारे में जानकारी दी गई।आईसीडीएस के डीपीओ ने बताया कि गोदभराई रस्म में  गर्भस्थ शिशु की बेहतर स्वास्थ्य की कामना की गई। महिलाओं को आयरन की गोली खाने की सलाह दी गई।

जिसमें बताया गया कि गर्भवती महिला कुछ सावधानी और समय से पौष्टिक आहार का सेवन करें तो बिना किसी अड़चन के स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं। वहीं, उन्होंने बताया, सुरक्षित और सामान्य प्रसव के लिए उचित पोषण बेहद जरूरी है।

जिला समन्वयक अमृता श्रीवास्तव ने बताया कि शिशु के जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा-पीला दूध बच्चे को पिलाना चाहिए। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। बच्चों को छह माह तक केवल माँ का दूध दें। यह बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता है। 6 माह के बाद बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास काफी तेजी से होता है।

इस दौरान स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की काफी जरूरत होती है। घर का बना मसला व गाढ़ा भोजन ऊपरी आहार की शुरुआत के लिए जरूरी होता है। सामान्य प्रसव के लिए गर्भधारण होने के साथ ही महिलाओं को चिकित्सकों से जाँच करानी चाहिए और चिकित्सा परामर्श का पालन करना चाहिए, आदि जानकारी दी गई।