चेचक से बचाव को स्वच्छ वातावरण जरूरी- डॉ श्रवण पासवान
प्रमोद कुमार
मोतिहारी,पू०च०।
गर्मियों के महीनों में होने वाले कुछ ऐसी बीमारियां हैं, जिनके होने से लोग घबरा जाते हैं। ऐसी ही एक बीमारी है चेचक। इस बीमारी में ज्यादातर संक्रमण बच्चों के शरीर पर देखने को मिलता है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इस बीमारी में झाड़-फूंक तक करवाने लगते हैं जबकि इसमे लोगों को सरकारी अस्पताल में इलाज कराना चाहिए। क्योंकि सरकारी अस्पताल में इलाज के साथ दवाए भी हैं
उपलब्ध। यह बातें मोतिहारी सदर प्रखंड अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ श्रवण कुमार पासवान ने बताई है। उन्होंने बताया कि मोतिहारी के रूपडीह व अन्य इलाकों, महादलित व ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्यतः यह देखा जा रहा है।
जहां इसकी जानकारी प्राप्त होते मेडिकल टीम द्वारा इससे बचाव हेतु दवा व साफ सफाई के तौर तरीके बताए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि गंदगी, अस्वच्छता व तेज धूप के साथ बदलते मौसम में इसका प्रभाव बच्चों पर देखा जाता है। खासकर यह कमजोर इम्युनिटी वाले बच्चों में देखा जाता है। उन्होंने बताया कि चेचक से बचाव को स्वच्छ वातावरण बेहद जरूरी है।
नियमित तौर पर साफ सफ़ाई व संतुलित आहार का सेवन कर इस रोग से बचा जा सकता है।चेचक को चिकनपॉक्स के नाम से भी जानते हैं। ये बीमारी दो तरह की होती हैं। पहली छोटी माता यानी छोटी चेचक और दूसरी बड़ी माता यानी बड़ी चेचक। इस बीमारी में शरीर के ऊपर लाल रंग के दाने निकल आते हैं, जिनमें खुजली और दर्द दोनों होता। इसके अलावा इस बीमारी में व्यक्ति को बुखार भी आता है।
साथ ही कमजोरी होना, शरीर में दर्द होना, कुछ भी अच्छा ना लगना जैसी कई अन्य चीजें होती हैं। इन दोनों में ही शरीर के ऊपर दाने निकलते हैं। लेकिन दोनों में अंतर ये है कि जहां बड़ी चेचक में बड़े दाने, तो वहीं छोटी चेचक में छोटे दाने निकलते हैं। इसी से इसे पहचाना जा सकता है।
इसके अलावा छोटी चेचक के समय उसके होने वाले दाने छोटे होते हैं जो कि बीच में से फटते नहीं हैं, बल्कि सीधे सूख जाते हैं। अमूमन छोटी चेचक बच्चों को होती है। वहीं, बड़ी चेचक के समय शरीर पर बड़े दाने होते हैं। ये बीच में से फट जाते और फिर सूखकर इनकी पपड़ी उतर जाती है।
डॉ शिल्पी श्रीवास्तव व डॉ दिवाकर पाण्डेय ने बताया कि चेचक की बीमारी में अस्पताल में दवाएं व इलाज उपलब्ध है। डॉक्टर से सलाह जरूर लें। साफ सफाई के साथ कई घरेलू उपचार करके भी इससे बचा जा सकता है।
इसमें नीम को बड़ा असरदार माना गया है। नीम को नहाने वाले पानी में डालकर उबाल लें, और फिर इस पानी से रोगी को नहलाएं। ऐसा करना चेचक की बीमारी में काफी लाभदायक होता है।सदर स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत आरबीएसके की डॉ शिल्पी श्रीवास्तव ने बताया कि साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें। घर के आस पास कूड़े करकट के ढ़ेर न लगने दें। बच्चों को गन्दे व बीमार पशुओं से दूर रखें ।
उन्हें सन्तुलित आहार दें। साथ ही उन वस्तुओं के संपर्क में आने से भी चेचक फैल सकता है जो वायरस से दूषित हो गए हैं।अतः संक्रमित बच्चों के खिलौने, बिस्तर या कपड़े जो आपके घर में है उस वस्तु को कीटाणुनाशक से साफ करके चेचक को फैलने से रोक सकते हैं।