समय पर टीबी की जाँच व इलाज से बची जान- बालदेव मांझी

समय पर टीबी की जाँच व इलाज से बची जान- बालदेव मांझी

समय पर टीबी की जाँच व इलाज से बची जान- बालदेव मांझी

प्रमोद कुमार 

मोतिहारी,पू०च०। 
टीबी की बीमारी का समय पर पहचान होना आवश्यक है। तभी मरीज का सही समय पर सही तरीके से इलाज हो पाता है। टीबी के के कारण स्वास्थ्य में लगातार गिरावट महसूस होने से डर लग रहा था। परंतु प्राइवेट अस्पतालों व डॉक्टरों के चक्कर लगाने के बाद जब सदर अस्पताल में डॉ को दिखाया तो जाँच में टीबी की बात सामने आई। इसके बाद दवा लेने के साथ ही इस बीमारी में  फायदा शुरू हुआ।

यह कहना है सुगौली प्रखंड के टिकुलिया ग्राम निवासी  55 वर्षीय बलदेव मांझी का। उन्होंने बताया कि टीबी से डरने की नहीं बल्कि लड़ने की जरूरत है। तभी 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का सपना साकार होगा। बलदेव मांझी ने बताया कि जब वे टीबी से ग्रसित हुए तो कष्ट और परेशानियों से घिर गए।

जिंदगी में निराशा के बादल छा गए। सोचा कि अब शरीर ऐसे ही रहेगा, महंगा इलाज के साथ आर्थिक स्थिति का कमजोर होना औऱ चिंताजनक बना दिया। लेकिन जब जिला यक्ष्मा केंद्र आया तब जाँच के बाद कई प्रकार की दवा मुफ्त मिली। डॉ ने भरोसा दिया। तब नियमित दवाओं का सेवन कर खुद को टीबी से सुरक्षित कर लिया हूँ।

अब लोगों को टीबी की बीमारी की जाँच व  इलाज की जानकारी देकर इसके लक्षण व इलाज के बारे में जागरूक करता हूँ। ताकि लोग भी मेरी तरह पूर्णतः टीबी से सुरक्षित रहकर सुख चैन पूर्वक जीवन बिता सकें।दो हफ्ते से ज्यादा खांसी आने पर बलगम की जांच कराएं। एक्स-रे कराएं। चिकित्सक द्वारा पुष्टि करने पर सावधानी बरतें।

टीबी के इलाज के लिए आपके टीबी अस्पताल अथवा जिला अस्पताल के डाद्स  सेंटर पर जाकर निःशुल्क दवाएं लें। टीबी का पूरा कोर्स करें और समय पर दवा लें। जब तक डॉक्टर न कहे तब तक दवा बंद न करें। संतुलित आहार में योग व व्यायाम करते रहें।