इलाज और कलंक पर जागरूकता फैलाने को विजय टीबी सर्वाइवर से बने टीबी चैंपियन

इलाज और कलंक पर जागरूकता फैलाने को विजय टीबी सर्वाइवर से बने टीबी चैंपियन

इलाज और कलंक पर जागरूकता फैलाने को विजय टीबी सर्वाइवर से बने टीबी चैंपियन

- बोचहां के लोहसरी गांव के रहने वाले हैं विजय
- जागरूकता से ही टीबी पे लग सकती है रोक

मुजफ्फरपुर, 5 जुलाई। 
बोचहां प्रखंड लोहसरी गांव के रहने वाले 34 वर्षीय विजय को 2014 में बोन टीबी हुआ। पटना और नामी गिरामी डॉक्टरों को भी दिखाने पर भी उनकी बीमारी पकड़ में नहीं आई। यह बात इनके मामा को पता चला। वह सरकारी अस्पताल में कार्यरत थे। लक्षण के आधार पर उन्होंने विजय को जांच कराने को कहा। जिसमें बोन टीबी की पुष्टि हुई। बोचहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से छह महीने लगातार दवा खाने के बाद वह स्वस्थ्य हुए।

टीबी में इलाज और कलंक को देख इस पर जागरूकता फैलाने की इच्छा हुई और वह विभिन्न संस्थाओं में जुड़ते हुए वर्तमान में रीच संस्था में टीबी चैंपियन के रूप में लोगों के बीच टीबी पर जागरूकता की घूंटी पिला रहे हैं। अपने जागरूकता के बल पर अभी तक लगभग दो सौ लोगों को टीबी की  गंभीर बीमारी से निजात दिलायी  है।
 
12 किलो कम हुआ था वजन- 
विजय कहते हैं टीबी कैसे हुआ यह पता नहीं पर जो शरीर के साथ हुआ वह तेजी से और बदतर हुआ। लगातार बुखार और खांसी के साथ तेजी से वजन कम हुआ। घर वाले काफी चिंतित थे। मुझे भी अपने भविष्य को लेकर थोड़ी शंका पैदा हो गयी। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से मिलने वाली दवाई को नियमित छह महीने खाया।

वहीं  उस दौरान अपने पोषण पर भी ध्यान दिया। तक जाकर मैं पूरी तरह स्वस्थ्य हो सका। उसी वक्त मैंने जो टीबी मरीजों के बारे में जाना और समझा उसे लेकर मेरे मन में जागरूकता फैलाने की बात आने लगी। जिसे रीच जैसी संस्था के साथ और भी बल मिला। अभी तक मैंने कुल लगभग 200 टीबी मरीजों को खोजा है। 

टीबी उपचार में अब दिखता है नयापन-
विजय कहते हैं पिछले 7-8 सालों में टीबी के इलाज में काफी नयापन आया है। यह जांच से लेकर दवाओं में भी जारी है। निक्षय पोषण योजना से टीबी जैसे कार्यक्रमों को और बल मिला है। पहले जहां सिर्फ बलगम और एक्सरे ही टीबी खोजने के साधन थे वह अब सीबी-नेट मशीन जैसे उपकरण आए हैं।

वहीं एमडीआर जैसे मरीजों को भी जिले से बाहर जाने की अब जरूरत नहीं है। टीबी अब कोई असाध्य बीमारी नहीं है बल्कि लोगों के बीच इसके लिए जागरूकता फैलाने की जरूरत है। इसके अलावा जो नियमित दवाएं ले रहे हैं उन्हें अपनी दवाएं नियमित लेने की आवश्यकता है।