अनेक भाषाओं की जननी व संस्कारित भाषा है संस्कृत
अनेक भाषाओं की जननी व संस्कारित भाषा है संस्कृत
P9bihar news
प्रदीप कुमार यादव
मोतिहारी l
संस्कृत भाषा संस्कारित भाषा है। देवभाषा नाम से विख्यात संस्कृत भाषा प्राकृत,पाली,अपभ्रंश और हिन्दी भाषाओं के साथ अनेक भाषाओं की जननी है। इसमें जहाँ प्राकृतिक देवताओं से संबद्ध वैदिक साहित्य है,वही समाज के नैतिक,धार्मिक,पौराणिक एवं सांस्कृतिक रूप का समुचित चित्रण करने वाला लौकिक साहित्य भी है।
उक्त विचार गुरुवार को महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय में आयोजित श्रावणी उपाकर्म सह संस्कृत दिवस समारोह में संस्कृत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने व्यक्त किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के मिडिया विभाग के प्रो•परमात्मा मिश्र ने कहा कि संस्कृत भारत की विविध भाषाओं एवं लोक भाषाओं का रूप लेते हुए भारतीय संस्कृति की प्रधान धारा बनी हुयी है,
साथ ही पूरे विश्व में व्यापकता,धार्मिकता एवं लौकिकता से परिपूर्ण है।कार्यक्रम का संचालन रुपेश कुमार ओझा एवं धन्यवाद ज्ञापन कृष्ण कुमार ने किया।मौके पर प्रदीप कुमार,सुधाकर पाण्डेय,गायत्री पाण्डेय,सुनीता मिश्रा,रत्ना कुमारी,अरुण तिवारी,सतीश पाण्डेय,सीताराम साह,मदनाकर कुमार,गौतम कुमार,मुकेश कुमार,अनीश पाण्डेय सहित वेदपाठी बटुक व अन्य लोग मौजूद थे।