रूबी के चेहरे से दूर होगी खामोशी मिलेगा खुशहाल और खिलखिलाता बचपन

रूबी के चेहरे से दूर होगी खामोशी मिलेगा खुशहाल और खिलखिलाता बचपन

रूबी के चेहरे से दूर होगी खामोशी मिलेगा खुशहाल और खिलखिलाता बचपन


 

- पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती रूबी को मिल रहा उचित इलाज और पोषण आहार

प्रमोद कुमार 


शिवहर। पोषण पुनर्वास केंद्र शिवहर में भर्ती 22 महीने की रूबी कुपोषण की चपेट में है। कुपोषण के कारण उसके चेहरे पर आम बच्चों की तरह हंसी नहीं दिखाई देती है। खेलना तो दूर वह चल भी नहीं पाती। इस उम्र में जहां बच्चे का वजन 7-8 किलो होना चाहिए, उसका वजन मात्र 4.34 किलो है। उसके चेहरे पर सिर्फ खामोशी का साया है। लेकिन वह स्वस्थ्य होकर सामान्य बच्चों की तरह मुस्कराना चाहती है।

खेलना-कूदना चाहती है।इसके लिए स्वास्थ्यकर्मी उसका उचित देखभाल और इलाज कर रहे हैं। नन्हीं सी बच्ची रूबी को कुपोषण से निकाल कर स्वस्थ जीवन देने में स्वास्थ्यकर्मी लगे हैं। मां संगीता देवी को पूरा भरोसा है कि उसकी लाडली जल्द स्वस्थ हो जाएगी और हंसते मुस्कराते घर चली जाएगी। ग्राम विशुनपुर मानसी की रहने वाली रूबी परिजन की अनदेखी की वजह से कुपोषित हो गई।

गरीबी की वजह से उसका इलाज करना माता-पिता के लिए मुश्किल लग रहा था। इसी बीच उसके कुपोषण की खबर क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता चमेली देवी तक पहुंची। जिसके बाद उन्होंने रूबी की मां संगीता को बिना देर किये हुए उसे पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती करने की सलाह दी।केंद्र की फीडिंग डिमान्सट्रेटर (एफडी) चित्रा मिश्रा ने बताया कि केंद्र से दर्जनों बच्चे कुपोषण को मात देकर घर गए हैं। हमारी यही कोशिश होती है कि बच्चे को उसका खुशहाल बचपन मिले।

रूबी भी स्वस्थ्य हो जाएगी। इसके लिए उसे पोषणयुक्त आहार दिया जा रहा है। साथ ही मेडिसीन दी जा रही है।जिससे कि वह जल्द स्वस्थ्य हो सके। साथ ही चित्रा ने बताया कि वह उसकी मां की काउंसलिंग करती है कि बच्चे को कैसे स्वस्थ्य रखना है। जिले में पोषण पुनर्वास केंद्र कुपोषण की समस्या से पीड़ित बच्चों के बीच संजीवनी साबित हो रही है। सदर अस्पताल परिसर स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र द्वारा बच्चों के उपचार के साथ उन्हें अक्षर ज्ञान का भी बोध कराया जाता है।

पोषण पुनर्वास केंद्र पर कुपोषित बच्चों एवं उनकी माताओं को आवासीय सुविधा प्रदान की जाती है। जहां उसके पौष्टिक आहार की व्यवस्था है। यहां कुपोषित बच्चों व उनकी माताओं को 21 दिन तक रखने का प्रावधान है। जिनका भी बच्चा कुपोषण की समस्या से पीड़ित है, वह स्थानीय आंगनबाड़ी सेविकाओं व आशा कार्यकर्ताओं से संपर्क कर अपने बच्चे को एनआरसी में भर्ती करा सकते हैं।