राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम: बच्चों को आज से दी जायेगी अल्बेंडाजोल की टैबलेट 

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम: बच्चों को आज से दी जायेगी अल्बेंडाजोल की टैबलेट 

•आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आंगनबाड़ी केंद्रों तथा पोषक क्षेत्र में बच्चों को खिलाएंगी दवा
•जिले के 29 लाख से अधिक बच्चों को खिलाई जाएगी दवा
•दो साल तक के बच्चों को आधा टैबलेट दी जायेगी खुराक
•1 से 19 वर्ष तक के बच्चों को खिलाई जाएगी दवा

प्रमोद कुमार 

मुजफ्फरपुर , 21अप्रैल। 
बच्चों को कुपोषण से मुक्त बनाने तथा रक्त की कमी की समस्या को दूर करने के लिए प्रभात तारा स्कूल में  सिविल सर्जन सुभाष कुमार सिंह ने गुरुवार को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम की शुरुआत की । मौके पर सिविल सर्जन ने कहा कि कार्यक्रम के अंतर्गत 1 वर्ष से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में विद्यालय पर अल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाएगी।

कार्यक्रम के सघन अनुश्रवण हेतु जिले में राज्यस्तरीय अनुश्रवण टीम का गठन किया गया है। टीम के द्वारा सुबह 6:00 बजे से 11:00 बजे के दौरान विभिन्न प्रखंडों में जाकर अनुश्रवण की जाएगी और सत्यापित प्रतिवेदन शिशु स्वास्थ्य को शाम को समर्पित किया जाएगा ।

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ ए के पाण्डेय ने बताया कार्यक्रम के तहत 1 से 19 वर्ष तक के जिले के 29 लाख से अधिक बच्चों को  दवा खिलाई जाएगी। बच्चों को कृमिनाशक दवा अल्बेंडाजोल 400 एमजी खिलाई जाएगी। कार्यक्रम जिला अंतर्गत सभी सरकारी, निजी विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केन्द्र पर संचालित किया जाएगा।  जिसके लिए टैबलेट आवंटित किया गया है।

सिविल सर्जन डॉ. सुभाष कुमार सिंह ने बताया बच्चों को जानकारी के बाद दवा खिलायी जाएगी। अल्बेंडाजोल की दवा सामने में खिलायी जायेगी। यह दवा खाली पेट में नहीं दी जायेगी। एक से दो साल तक के बच्चों को आधा टैबलेट व उससे अधिक उम्र के लोगों को एक टैबलेट देनी है। कहा कि भारत सरकार के अभियान के तहत आंगनबाड़ी जाने वाले लक्षित 1 से 5 वर्ष तक के बच्चों तथा स्कूल जाने वाले 6 वर्ष 19 वर्ष तक के बच्चों एवं स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों को आशा कार्यकर्ता द्वारा गृहभ्रमण कर अल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाएगी।

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने बताया बच्चों में कृमि संक्रमण अस्वच्छता तथा दूषित मिट्टी के संपर्क में आने से होती है। कृमि संक्रमण से बच्चों के पोषण स्तर तथा हीमोग्लोबिन स्तर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। जिससे बच्चों में शारीरिक व बौद्धिक विकास बाधित होती है। कार्यक्रम के दौरान कोविड-19 द्वारा निर्गत निर्देश जैसे- सामाजिक दूरी, व्यक्तिगत स्वच्छता, मास्क, सैनिटाइजर का उपयोग आवश्यक होगा।  

दवा का सेवन कराते समय बरतनी होगी यह सावधानी:
सिविल सर्जन डॉ सिंह ने बताया राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के दौरान बच्चों को दवा खिलाते समय कुछ सावधानी भी बरतनी होगी। जैसे कि अगर किसी बच्चों की कोई गंभीर बीमारी का इलाज चल रहा और वह नियमित रूप से दवा खा रहा , कोई बच्चा सर्दी ,खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ से  बीमार है तो, उसे यह दवा नहीं खिलाई जाएगी।

1 से 2 वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली को चूरा बनाकर पानी के साथ, 2 से 3 वर्ष एक पूरी गोली चूरा बनाकर पानी के साथ तथा 3 से 19 वर्ष तक के बच्चों को एक पूरी गोली चबाकर खिलायी जानी है। सिविल सर्जन ने बताया दवा खिलाते समय यह ध्यान रखा जाये कि बच्चे दवा को का चबाकर खाएं।, जिन बच्चों के पेट में कीडों की अधिकता होगी उनके द्वारा दवा का सेवन करने पर मामूली लक्षण सामने आयेंगे।

जिससे घबराने की जरूरत नहीं है। जैसे दवा खाने के बाद जी मचलाना, पेट में हल्का दर्द, उल्टी, दस्त और थकान महसूस होना, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। पेट में कीड़ा होने के कारण यह प्रतिकूल प्रभाव दिखाई देगा। इस दौरान बच्चों को आराम की सलाह दें तथा उसे लेट जाने को कहें। 10 मिनट में समस्या स्वयं ही दूर हो जाएगी। 

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के उद्देश्य:
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का उद्देश्य बच्चों के समग्र स्वास्थ्य पोषण की स्थिति, शिक्षा तक पहुंच और जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के लिए विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से 1 से 19 वर्ष की आयु के बीच के विद्यालय जाने से पहले और विद्यालय आयु के बच्चों (नामांकित तथा गैर नामांकित) को कीड़े समाप्त करने की दवा(कृमिनाशक) देनी है।

मौके पर डी ई ओ अब्दुस सलाम  अंसारी, डी आई ओ डॉ ए के पाण्डेय,डीपीओ चांदनी सिंह, डीसी प्रभात रंजन, प्रभात तारा स्कूल कि प्रिंसिपल अनीता समेत अन्य लोग मौजूद थे।

कृमि संक्रमण के लक्षण:
-कृमि संक्रमण पनपने से बच्चे कुपोषित हो जाते हैं ।
-बच्चों के शरीर में खून की कमी हो जाती है।
-बच्चे हमेशा थकान महसूस करते हैं हैं 
-बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास बाधित होता है।
-बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी हो जाती है।

कृमि संक्रमण से बचाव के उपाय:

-नाखून साफ और छोटे रखें, 
-हमेश साफ और स्वच्छ पानी ही पीऐं,
-खाने को ढक कर रखें
-साफ पानी में फल व सब्जियां धोएं
-अपने हाथ साबुन से धोएं विशेषकर खाने से पहले और शौच जाने के बाद
-घरों के आसपास साफ-सफाई रखें
-खुले में शौच न करें , हमेशा शौचालय का प्रयोग करें।