फाइलेरिया मरीजों की पहचान के लिए जिले में शुरू हुआ नाइट ब्लड सर्वे अभियान  

फाइलेरिया मरीजों की पहचान के लिए जिले में शुरू हुआ नाइट ब्लड सर्वे अभियान  

फाइलेरिया मरीजों की पहचान के लिए जिले में शुरू हुआ नाइट ब्लड सर्वे अभियान  

-21 अक्टूबर तक सभी प्रखंडों और शहरी क्षेत्र में चलेगा नाइट ब्लड सर्वे अभियान

P9bihar news 

प्रमोद कुमार 

शिवहर। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जिले के गांवों में नाइट ब्लड सर्वे अभियान बीते मंगलवार से शुरू हो गया।  शिवहर प्रखण्ड के ताजपुर गांव से नाइट ब्लड सर्वे कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस मौके पर बीडीओ, स्थानीय मुखिया और वार्ड सदस्य, जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्रबंधक, केयर इंडिया के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी और प्रखण्ड समन्यवक उपस्थित थे। जिले के सभी पांच प्रखण्ड और शहरी क्षेत्र के 2.2 साइट्स पर नाइट ब्लड सर्वे किया जाएगा।

जिसमें प्रत्येक गांव से 300-300 लोगों का रक्त का नमूना स्वास्थ्य विभाग के दलों द्वारा संग्रह किया जाएगा। सर्वे 21 अक्टूबर तक चलेगा। जिला भीबीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सुरेश राम ने कहा कि नाइट ब्लड सर्वे से संभावित मरीजों की समुचित जांच सुनिश्चित हो सकेगी और शुरुआती दौर में ही बीमारी की सही जानकारी मिल जाएगी। नाइट ब्लड सर्वे के लिए चार सदस्यीय टीम भी बनाई गई है। संबंधित क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता द्वारा घर-घर जाकर लोगों को सैम्पलिंग कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा।

फाइलेरिया की स्थिति पता चलेगा-

ज्ञात हो कि अभी जिले में फाइलेरिया से पीड़ित मरीजों का कुल आंकड़ा 2105 प्रतिवेदित है। डॉ सुरेश राम ने कहा कि नाइट ब्लड सर्वे अभियान का उद्देश्य प्रखंड स्तर पर फाइलेरिया व माइक्रो फाइलेरिया की दर को जानना है। नाइट ब्लड सर्वे से यह पता चलेगा कि कितने लोगों में फाइलेरिया का पैरासाइट मौजूद है। फाइलेरिया का पैरासाइट रात में ही सक्रिय होता है। इसलिए नाइट ब्लड सर्वे रात में आठ से 12 बजे के बीच ही ब्लड सैम्पल लिया जा रहा। इसमें 20 साल से ऊपर के लोगों का रक्त नमूना जांच के लिए लिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रखंड स्तर पर नाइट ब्लड सर्वे के लिए सूक्ष्म कार्य योजना तैयार की गई है। 

धीरे-धीरे गंभीर रूप ले लेता है फाइलेरिया-

फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है। जिसे सामान्यतः हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। फाइलेरिया एक परजीवी रोग है। जो क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर फाइलेरिया के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। लेकिन बुखार, बदन में खुजली व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल अंडकोषों की सूजनद्ध फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे-धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसका कोई ठोस इलाज नहीं हैए लेकिन इसकी नियमित और उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है। 

फाइलेरिया बीमारी का क्या-क्या है लक्षण-

-कई दिन तक रुक.रुक कर बुखार आना।
-शरीर में दर्द एवं लिम्फ नोड लसिका ग्रंथियों में सूजन।
-हाथ, पैरों में सूजन (हाथी पांव) एवं पुरुषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील)।
-महिलाओं के ब्रेस्ट में सूजनए पहले दिन में पैरों में सूजन रहती है और रात में आराम करने पर कम हो जाती है।
-संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण पांच से 15 साल तक में दिख सकते हैं।

बीमारी से बचाव के उपाय-

-लक्षण लगने पर समय से जांच कराकर इलाज शुरू कर दें।
-फाइलेरिया की दवा का सेवन पांच वर्ष तक नियमित करने पर बचा जा सकता है।
-फाइलेरिया के मच्छर गंदी जगह पर पनपते हैं। इसलिए मच्छरों से बचाव करें।
-साफ-सफाई रखकर मच्छर से बचने के लिए फुल आस्तीन के कपड़े पहनें।
-रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।