एसएनसीयू में गूंज रही नवजातों की किलकारियां

एसएनसीयू में गूंज रही नवजातों की किलकारियां

एसएनसीयू में गूंज रही नवजातों की किलकारियां

प्रमोद कुमार 

शिवहर। 
जिले की स्वास्थ्य सेवाएं अपनी बेहतरी की ओर लगातार आगे बढ़ रही है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार व्यवस्था के सुधार में लगी है। सदर अस्पताल परिसर में संचालित एसएनसीयू (स्पेशल न्यू बोर्न केअर यूनिट) जिला में स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण को दर्शाता है। इसके तहत नवजात बच्चों की बेहतर देखभाल एवं उनका समुचित इलाज कर नया जीवन देने में कारगर साबित हो रहा है।

अत्याधुनिक सुविधाओं वाला एसएनसीयू बच्चों के इलाज के साथ शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में मील का पत्थर साबित हो रहा है। इस यूनिट में प्रतिमाह 150 से अधिक नवजात बच्चों का इलाज हो रहा  तथा उन्हें असमय काल के गाल में समाने से बचाया जा रहा है। एसएनसीयू में बीमार नवजात शिशुओं को विशेष सेवा प्रदान की जा रही है।

एसएनसीयू 24 घंटे काम कर रहा है। यहां शिशु रोग विशेषज्ञ एवं नर्सिंग स्टाफ 24 घंटे काम कर रहे हैं । इसका लाभ शिवहर के बच्चों को मिल रहा है।सिविल सर्जन डॉ. शैलेंद्र कुमार झा ने बताया कि एसएनसीयू वार्ड में प्रतिमाह 150 से 200 नवजात भर्ती किये जाते हैं। इनमें से 90 प्रतिशत से भी ज्यादा नवजातों का सफल इलाज होता है। एसएनसीयू वार्ड में 0 से 28 दिन तक के बच्चों को भर्ती किया जाता है।

 एसएनसीयू में 24 घंटे चिकित्सक के साथ स्टाफ नर्स तैनात रहती हैं, जो शिशु के एडमिट होने के साथ ही उनकी सेवा में तत्परता से जुट जाती हैं। सिविल सर्जन ने बताया कि एसएनसीयू में कुल 12 बेड लगाये गए हैं। एसएनसीयू में विशेषज्ञ चिकित्सक सहित कुल पांच चिकित्सक, आठ स्टाफ नर्स नियुक्त हैं।

एसएनसीयू में रेडियो वॉर्मर, ऑक्सीजन की सुविधा के साथ साथ जॉन्डिस से पीड़ित बच्चों के लिए फोटो थैरेपी की सुविधा भी है।एसएनसीयू में जन्म लेने के साथ ही श्वांस, जांडिस, दूध नहीं पीने, निर्धारित वजन से कम, नौ माह के पहले जन्म, अविकसित शिशुओं का गंभीर स्थिति में इलाज किया जा रहा है।

सर्वाधिक नवजातों की मौत का एक प्रमुख कारण बर्थ एस्फिक्सिया होता है। जन्म का पहला घंटा नवजात के लिए महत्वपूर्ण होता है। जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी से दम घुटने से बच्चे को गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो जाती है। गंभीर हालातों में बच्चे की जान भी जा सकती है। जिसे चिकित्सकीय भाषा में बर्थ एस्फिक्सिया कहा जाता है।

इस तरह के नवजात शिशुओं का इलाज आसानी से हो रहा है। सीएस डॉ. शैलेंद्र कुमार झा ने कहा कि नवजात शिशुओं के लिए एसएनसीयू संजीवनी साबित हो रहा है।