प्राइवेट अस्पताल फेल, सरकारी अस्पताल में हमर पोती ठीक भेल 

प्राइवेट अस्पताल फेल, सरकारी अस्पताल में हमर पोती ठीक भेल 

 चमकी के लक्षण के साथ हुई थी भर्ती 

- कारक बना न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस 

प्रमोद कुमार 


सीतामढ़ी,
हमारी पोती की जान तो सरकारी अस्पताल ने बचायी है। प्राइवेट में उसकी हालत और गंभीर हो गयी थी। वह तेजी से स्वस्थ्य भी हो रही है। यहां से मैं दो बातें अपने जीवन में जरूर अपनाऊंगा,  पहला सरकारी अस्पताल पर भरोसा और दूसरा स्वच्छता। यह सारी बातें गांव नरहां प्रखंड सुप्पी के जयनारायण दास कह रहे थे। कहते भी क्यों नहीं।

उनकी 10 वर्षीय पोती राधा की जान सदर अस्पताल में जो बची।विस्तार से बताते हुए जयनारायण दास कहते हैं कि उनकी पोती राधा गांव के दूसरे टोले में भोज के निमंत्रण पर गयी थी। भोज खाने के बाद वह अचानक से बेहोश हो गयी। स्थानीय लोगों ने तत्काल उसे रीगा के किसी निजी चिकित्सक के पास ले गए, स्थिति न संभलने पर परिजन उसे सरकारी अस्पताल ले आए।जयनारायण दास कहते हैं

अस्पताल पहुंचते ही राधा को एईएस वार्ड में भर्ती ले लिया गया। जहां डॉ हिमांशु शेखर के नेतृत्व में उनकी टीम ने बच्ची का इलाज शुरू किया। जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ रविन्द्र कुमार यादव ने कहा कि खबर मिलते ही मैं अस्पताल पहुंचा। जहां जांच के दौरान बच्ची को न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस होने का पता चला। बच्ची के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है। कुछ दिनों में उसे अस्पताल से छुट्टी भी मिल जाएगी।

डॉ आरके यादव ने कहा कि जब बच्ची से उसके रूटीन के बारे में पूछा जाने लगा तब राधा ने खुद बताया कि उसके घर में शौचालय नहीं है और वह अक्सर नदी किनारे ही शौच के लिए जाती है। वहीं मिट्टी से अपना हाथ भी धोती है। डॉ यादव ने कहा कि यह उसके न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस का मुख्य कारण भी हो सकता है।

वहीं उनके दादा जयनारायण कहते हैं कि उनके गांव में अक्सर गंदे सूअर का झुंड भी आता है। कमोबेश सारा मामला अस्वच्छता के कारण ही पनपा है। जिसके कारण बच्ची को चमकी के लक्षण आए थे।डॉ यादव एईएस वार्ड में बच्चों तथा उनके परिजनों को चमकी और स्वच्छता पर सलाह और जानकारी दे रहे हैं

जिन्हें सभी पूरी तन्मयता के साथ सुन रहे और अपने आस -पास में लोगों को बताने का वचन भी दे रहे हैं।राधा के दादा जयनारायण दास की आंखों में अब घर में शौचालय बनवाने तथा गांव में सबको स्वच्छता तथा चमकी बुखार के बारे में जानकारी देने का संकल्प साफ दिख रहा है।

वहीं सरकारी अस्पतालों के बारे में भी उनकी अवधारणा अब स्पष्ट दिखती है, तभी वह कहते हैं कि कोई भी प्राइवेट अस्पताल इतना अच्छा नहीं है।