अनुदान आवंटन लटका विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालय में अवैध लुट-अनियमितता धड़ल्ले से जारी

अनुदान आवंटन लटका विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालय में अवैध लुट-अनियमितता धड़ल्ले से जारी

अनुदान आवंटन लटका विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालय में अवैध लुट-अनियमितता धड़ल्ले से जारी

P9bihar news 


सत्येन्द्र कुमार शर्मा,
 प्रधान संपादक।


विश्वविद्यालय के अधिकारियों के सरक्षण में लूट एवं अनियमितता का कारोबार वर्षों से फल-फुल रहा है। महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय के अधिकारियों को राज्य सरकार के आला अधिकारी अनुदान आवंटन लेने के लिए लगातार पत्र निर्गत करने के बावजूद आवंटन नहीं लिया जा रहा है।
 मगध विश्वविद्यालय के भ्रष्ट कुलपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा विश्वविद्यालय के पैसे का हेरफेर कर करोड़ रूपए का घोटाला किया गया और निगरानी के जांच से प्रमाणित हो चुका है।इस जांच के पूर्व जयप्रकाश विश्वविद्यालय में घोटाला उजागर किया जा चुका हैं।


लूट के खिलाफ वर्षों से कुलपति पर राज्यभवन और राज्य सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नही किया जा रहा है और भष्ट्राचारी के मनोबल को बढाया जा रहा है।उधर उच्च शिक्षा संस्थान में अनियमितता बार- बार उजागर हो रहा है और कोई कारवाई नहीं हो रही है।जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के लोक महाविद्यालय हाफिजपुर के शिक्षक-शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का नाम हाल में बने महाविद्यालय के पोर्टल में उल्लेख तक नहीं करने के खिलाफ कर्मियों द्वारा आंदोलन विरोध प्रदर्शन किया जा चुका हैं।


उच्च शिक्षा में व्याप्त अनियमितताओं का ढ़ेर लगता चला जा रहा है।अनियमितताओं के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करने से लूट की छूट राज्य सरकार द्वारा भी दिया जा रहा है कहने में संदेह संकोच नहीं है।
उधर जबकि मद्रास हाईकोर्ट ने मद्रास विश्वविद्यालय की गिरती साख पर चिंता जताते हुए कहा है कि भ्रष्ट कर्मचारियों को मौत की सजा दी जानी चाहिए। अदालत की ओर से यह तल्ख टिप्पणी उस अधिकारी पर की गई जिसने धोखाधड़ी कर दो लोगों को सहायक लाइब्रेरियन के पद प्रोन्नत कर दिया है।


गौरतलब है कि जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के अनुदानित लोक महाविद्यालय हाफिजपुर में अनियमितताओं का ढ़ेर लगता चला जा रहा है।
निगरानी द्वारा मामला दर्ज कराने के बाद भी लोक महाविद्यालय हाफिजपुर में राशि की लूट धड़ल्ले से व्यापक पैमाने पर आज भी जारी है।
 लोक महाविद्यालय हाफिजपुर में राशि की लूट धड़ल्ले से व्यापक पैमाने पर दो दशक से लगातार किया जा रहा है।लोक महाविद्यालय हाफिजपुर में प्राचार्य सहित 85 शिक्षक एवं 45 शिक्षकेत्तर कर्मियों का पद सरकार द्वारा स्वीकृत है।


पत्रांक-177 दिनांक 20.3.87
पत्रांक-272 दिनांक 11.1.90
पत्रांक-271 दिनांक 14.2.90
द्वारा कला, वाणिज्य एवं विज्ञान संकाय के विभिन्न 19 विषयों में कुल 85 पद प्राचार्य सहित तथा कुल 45 पद शिक्षकेत्तर कर्मियों के पद को सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान किया गया है जिन्हें सरकारी अनुदान की राशि विधिवत देय है।बहरहाल लोक महाविद्यालय हाफिजपुर में उपयोगिता प्रमाण पत्र के अनुसार सत्र 2005-2008 में 86 शिक्षक 90 शिक्षकेत्तर कर्मियों को अनुदान दिया गया है। प्रथम भुगतान में एक शिक्षक एवं 45 शिक्षकेत्तर कर्मियों को अनुदान राशि का अतिरिक्त भुगतान किया गया है।लेकिन विधिवत अनुदान राशि प्राप्त करने वाले एक शिक्षकेत्तर कर्मी लिपिक का इस सत्र मेंं भुगतान नहीं किया गया है।


दूसरी बार अनुदान भुगतान के उपयोगिता प्रमाण पत्र में सत्र
2005-2009(अ) में 90 शिक्षक 93 शिक्षकेत्तर कर्मियों को अनुदान भुगतान किया गया है। दूसरी बार 05 अतिरिक्त शिक्षक एवं 48 अतिरिक्त शिक्षकेत्तर कर्मियों को अनुदान भुगतान किया गया है।इस सत्र में भी एक कर्मी को अनुदान से बंचित रखा गया हैं।तीसरे बार अनुदान भुगतान उपयोगिता प्रमाण पत्र में सत्र2006-2009(ब) में 87 शिक्षक 96 शिक्षकेत्तर कर्मियों को अनुदान दिया गया है। यहां दो अतिरिक्त शिक्षक एवं 51 अतिरिक्त शिक्षकेत्तर कर्मियों को अनुदान भुगतान किया गया है।इस सत्र में भी उक्त कर्मी को अनुदान से वंचित रखा गया है।


उसके बाद भी अनुदान भुगतान उपयोगिता प्रमाण पत्र में सत्र
2007-2010 में 87 शिक्षक 91 शिक्षकेत्तर कर्मियों को अनुदान किया गया है। इस बार भी 02 अतिरिक्त शिक्षक एवं 46 शिक्षकेत्तर कर्मियों को अनुदान भुगतान दर्शाया गया है।उसके बाद के भी अनुदान भुगतान में शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों के संख्या में एक दो का अंतर दर्शा अनुदान भुगतान तो किया गया है।अनुदान से बंचित कर्मी को अनुदान से आज तक बंचित रखा गया है साथ ही कार्य करने की अनुमति भी नहीं दी जा रही है।उपरोक्त तालिका निगरानी टीम के जांच प्रतिवेदन से लिया गया है।


निगरानी टीम के जांच प्रतिवेदन में उक्त बातें साफ-साफ उल्लेख किया गया है कि नियम विरुद्ध तरीके से पद का भ्रष्ट दुरुपयोग करते हुए अनुदान का लाभ देकर सरकारी राशि की क्षति पहुंचाई गई है जिसके लिए शाशि निकाय के पदेन अधिकारी प्रत्यक्ष तौर पर दोषी है। जांच टीम ने जांच अवधि के प्राचार्य एवं सचिव को नामजद अभियुक्त बनाया है।


गौरतलब यह है कि निगरानी द्वारा मामला दर्ज करने के बाद भी अनुदान भुगतान में पद का भ्रष्ट तौर पर दूरुपयोग का सिलसिला आज भी कायम है।
उधर हाल में राशि लूट की प्राथमिकी सहाजितपुर थाना में दर्ज कराई गई है जिस पर पुलिस अनुसंधान जारी है।


 थाने में 27 दिसंबर 2021 को पूर्व निलंबित प्रभारी प्राचार्य को लूट में आरोपित करते हुए कांड संख्या 187/21 अंकित कराया  गया है।