निकाय चुनाव के रोक से विधायिका का पक्ष आमजन के समक्ष 

निकाय चुनाव के रोक से विधायिका का पक्ष आमजन के समक्ष 

निकाय चुनाव के रोक से विधायिका का पक्ष आमजन के समक्ष 

P9bihar news

सत्येन्द्र कुमार शर्मा
प्रधान संपादक

न्यायालय द्वारा निकाय चुनाव पर रोक दिया गया है। न्यायालय के रोक लगाने के आदेश के बाद से विधायिका के कार्य शैली पर प्रश्न चिह्न लगना भी अब आम बात हो गई कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
चुकी पटना हाई कोर्ट द्वारा निकाय चुनाव पर रोक लगाने के बाद बिहार में पक्ष-विपक्ष द्वारा आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। सत्ताधारी दल जेडीयू ने जहां इसे बीजेपी और केंद्र सरकार की साजिश करार दिया है तो वहीं बीजेपी ने इसके लिए सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जिम्मेवार बताया है।

बिहार विधान परिषद में विरोधी दल के नेता सम्राट चौधरी ने तो मुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा है कि नीतीश कुमार की जिद्द के कारण बिहार में निकाय चुनाव नहीं हो सका। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना का आरोप तक लगाया है। उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार का चेहरा रावण रूपी हो गया है और उनके अहंकार के कारण ही निकाय चुनाव पर ग्रहण लग गया है।


सम्राट चौधरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जिद्द के कारण बिहार में निकाय चुनाव नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने जबरदस्ती सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को स्पष्ट तौर पर कहा था कि ट्रिपल टेस्ट के लिए आयोग का गठन करें लेकिन नीतीश ने सभी निर्देशों को दरकिनार किया। सम्राट चौधरी ने कहा है कि उन्होंने पंचायती राज विभाग का मंत्री रहते हुए आयोग गठन करने का निर्देश दिया था। जिसपर नगर विकास विभाग ने भी इस पर अपनी सहमति जताई थी लेकिन नीतीश कुमार एक मात्र व्यक्ति थे जो इसके समर्थन में नहीं थे।
सम्राट चौधरी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने राज्य निर्वाचन आयोग से जबरदस्ती निकाय चुनाव का घोषणा करवाया जबकि पूरे बिहार के लोग ट्रिपल टी आयोग के गठन का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में चुनाव पर रोक लगाया बावजूद इसके नीतीश कुमार अपनी जिद्द पर अड़े रहे। नीतीश कुमार बिहार को अपने जिद्द में चलाना चाहते हैं और पलटू कुमार से किसी और चीज की आशा नहीं की जा सकती है।

नीतीश कुमार का चेहरा रावण रूपी हो गया है और बीजेपी उस रावण रूपी चेहरे से बिहार को मुक्त करेगी।वहीं उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा है कि बीजेपी ने बिहार में कभी भी जातीय जनगणना का विरोध नहीं किया है। नीतीश कुमार जब यह प्रस्ताव कैबिनेट में लेकर आए, तो बीजेपी ने उसमें पूरी आस्था व्यक्त करने का काम किया था।

नीतीश कुमार अगर इसको लेकर गंभीर नहीं हैं तो इसका दोष बीजेपी का नहीं हो सकता है। बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कभी भी जातीय जनगणना का विरोध नहीं किया। वहीं जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह द्वारा प्रशांत किशोर को बीजेपी का एजेंट बताने पर सम्राट चौधरी ने आलोचना किया है।
न्यायालय के आदेश का पालन विधायिका द्वारा नहीं किया जाना विषय आमजन को विचारणीय होता जा रहा है।