परिवार नियोजन पर बेहतरीन काम कर मालती पा चुकी हैं राज्यस्तरीय सम्मान
- इसी वर्ष पटना में कार्य को मिली है प्रशंसा
- दूसरे की हंसी खुशी को ही अपना धर्म मानती है एएनएम मालती
वैशाली,12 मई।
नर्स सिर्फ बड़े शहरों के अस्पतालों में ही नहीं बल्कि गांवों में भी होती हैं। वह ग्रामीण स्वास्थ्य की मुख्य कड़ी है। भले ही इनका कार्यक्षेत्र छोटा हो, पर इनके द्वारा उपलब्ध कराई गयी स्वास्थ्य सेवा एक व्यापक क्षेत्र के लिए मिसाल बन जाती है।
नर्सिंग सेवा की ऐसी ही एक मिसाल भगवानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित मालती हैं। 8 मार्च को स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित महिला दिवस पर उन्होंने जिला के नर्सिंग स्टॉफ का प्रतिनिधित्व किया और पुरस्कृत भी हुई। मालती के अनुसार समय, धैर्य और दूसरों की हंसी ही उनके नर्सिंग करियर की पूंजी है। जिसे वह अपने जीवन में उतार चुकी हैं।
परिवार नियोजन के लिए हुई पुरस्कृत:
मालती कहती हैं मुझे जब जो काम सौंपा गया उसमें हमेशा अपना पूरा देन की कोशिश की। मेरी नर्सिंग करियर की शुरुआत लालगंज से हुई थी। जिसमें मैं हेल्थ सब सेंटर का संचालन करती थी। उच्च जोखिम वाली महिलाएं, बच्चों का टीकाकरण और गर्भवती की जांच समेत हरेक में मैंने अपना पूरा समय दिया।
जिससे वहां के लोगों को हेल्थ सब सेंटर पर भरोसा हुआ और लोग स्वास्थ्य सेवा का लाभ भी लेने लगे। 2019 में जब भगवानपुर में पोस्टिंग हुई तो ओटी की जिम्मेदारी के साथ संस्थागत प्रसव की भी जिम्मेदारी दी गयी। जिसे मैंने निभाया। इसके अलावा संस्थागत प्रसव में आने वाली महिलाओं की मैं परिवार नियोजन पर काउंसलिंग भी करती थी।
जब एक महिला दो साल बाद परिवार नियोजन करवाने आयी-
मालती कहती हैं कि मैंने एक बार एक महिला को समझाया था कि परिवार में दो बच्चे काफी हैं। वह उसका दूसरा बच्चा था। दो साल तक वह पारिवारिक यातनाएं सहती रही पर उसने तीसरा बच्चा नहीं होने दिया। दो साल बाद वह बंध्याकरण कराने आयी, पर उसकी त्वचा जल जाने के कारण बंध्याकरण असुरक्षित था। ऐसे में मैंने उसे अस्थायी साधन के बारे में बताया और उस पर अमल भी उसने किया।
ज्यादातर की नाइट शिफ्ट :
जहां कोई भी शिफ्ट में काम करने वाला कर्मचारी रात की ड्यूटी से भागता है , मालती ने अधिकतर रात में ही अपनी ड्यूटी संभाली है। वह कहती हैं कि रात में बेहतर चिकित्सा सेवा देना मुझे अच्छा लगता था। इसका एक कारण है कि प्रसव के अधिकतर मामले रात में ही आते हैं। ऐसे में मुझे सेवा करने का मौका भी अधिक मिलता।
कोविड के समय में भी रही डटी-
मालती कहती हैं कोविड के समय में जहां एक ओर सभी के मन में डर था वैसे में मैं जागरूकता के माध्यम से लोगों को कोविड अनुरुप व्यवहार सिखा रही थी।
कोविड की जांच के लिए दिन भर में सैंकड़ों मरीज आते थे। फिर भी मैं अपनी ड्यूटी पर तैनात थी। दो -दो शिफ्ट भी ड्यूटी लग जाती थी। न जाने कितने दिनों तक बिना छुट्टी के काम करना पड़ा। इन सबके बीच कहीं न कहीं मेरी कर्तव्यपरायणता ही थी जो मुझे मेरे काम से कभी हटने नहीं दिया।