अस्ताचल गामी सूर्य के प्रथम अर्घ्य एवं प्रसाद भोग के साथ खरना संपन्न

अस्ताचल गामी सूर्य के प्रथम अर्घ्य एवं प्रसाद भोग के साथ खरना संपन्न

अस्ताचल गामी सूर्य के प्रथम अर्घ्य एवं प्रसाद भोग के साथ खरना संपन्न

P9bihar news 


सत्येन्द्र कुमार शर्मा,
प्रधान संपादक।

अस्ताचलगामी सूर्य के प्रथम अर्घ्य के पश्चात प्रसाद बनाकर भोग लगाने के साथ चार दिवसीय छठ अनुष्ठान का खरना संपन्न हो गया।29 अक्तूबर को छठ पूजा का दूसरा दिन है। दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को भक्त दिनभर का उपवास रखते हैं और शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य निवेदित कर भोजन करते हैं। इसे छठ पूजा का ‘खरना’ कहा जाता है। खरना के प्रसाद के रूप में गन्ने के रस व मिठा(गुड़) में बने हुए चावल के खीर के साथ दूध, घी,फल, मिस्ठान को बनाई गई रोटी के साथ आग्राशन निकाल कर व्रती द्वारा खाया जाता है।


उल्लेखनीय है कि इस अनुष्ठान मेंं नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है। रोटी खीर वगैरह ग्रहण करने के बाद व्रती द्वारा 36 घंटे का उपवास का व्रत रखा जाता है। नहाया खाय,खरना ,छठ के अनुष्ठान में व्रती एवं परिजनों द्वारा तन और मन के शुद्धिकरण पर विशेष ध्यान दिया जाता है। 
 पंचांग के अनुसार, पंचमी तिथि आज 29 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 13 मिनट से शुरू हुआ है। इस तिथि की समाप्ति, कल यानी 30 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 49 मिनट पर होगी। खरना के दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 31 मिनट पर हुआ है।


छठ व्रत का खरना पूजा व्रती के मन की शुद्धता के लिए किया जाता है। इस दिन व्रतधारी  मानसिक तौर पर 36 घंटे के कठिन उपवास निर्जला व्रत के लिए अपने आप को तैयार करते हैं। छठ के खरना का प्रसाद साफ स्थान पर मिट्टी के नये चूल्हा बनाकर आम की लकड़ी के जलावन से बनाया जाता हैं।