पेड़ों की महत्ता का बखान पुराण में वर्णित अब पर्यावरण दिवस 

पेड़ों की महत्ता का बखान पुराण में वर्णित अब पर्यावरण दिवस 

पेड़ों की महत्ता का बखान पुराण में वर्णित अब पर्यावरण दिवस 

P9bihar news 

सत्येन्द्र कुमार शर्मा।

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से पर्यावरण संरक्षण एक अहम हिस्सा बनता जा रहा है। बागीचा के बड़े-बड़े आम, कटहल, महुआ, बेल, शीशम, के पेड़ों की कटाई भवनों उपस्करों के प्रयोग के लिए धड़ल्ले करने कारण पर्यावरण संरक्षण पर संकट बढ़ता जा रहा है। बागीचा की जगह फुलवारी के छोटे-छोटे पेड़ों की आयु सीमा नगण्य सा या यों कहें कि कम हैं।

जो एक समयावधि के अंतराल पर सुखते भी जा रहें हैं। जहां बागीचा के बड़े-बड़े पेड़ हजारों वर्ष के होता थे वहीं फुलवारी के पौधे तीन से चार दशक आयु के ही होते हैं। फिर भी पौधा लगाया जाना बेहद जरूरी होता जा रहा है सबों को अमल करने की जरूरत है।
स्कंदपुराण में भी एक सुंदर श्लोक के माध्यम से पेड़ की महत्ता का बखान किया गया है।

अश्वत्थमेकम् पिचुमन्दमेकम् नयग्रोधमेकम्  दश चिञ्चिणीकान्।कपित्थबिल्वाऽऽमलकत्रयञ्च पञ्चाऽऽम्रमुप्त्वा नरकन्न पश्येत्।।अश्वत्थः-पीपल 100% कार्बन डाइऑक्साइड को सोखता है।पिचुमन्दः-नीम 80% कार्बन डाइऑक्साइड को सोखता है।


 न्यग्रोधः- वटवृक्ष 80% कार्बन डाइऑक्साइड को सोखता है।चिञ्चिणी:- इमली 80% कार्बन डाइऑक्साइड को सोखता है।कपित्थः-कविट 80% कार्बन डाइऑक्साइड को सोखता है।बिल्वा:-बेल 85% कार्बन डाइऑक्साइड को सोखता है।


 आमलकः- आवला 74% कार्बन डाइऑक्साइड को सोखता है।
 

आम्रः- आम 70% कार्बन डाइऑक्साइड को सोखता है।

जो कोई इन वृक्षों के पौधो का रोपण करेगा, उनकी देखभाल करेगा पर्यावरण के लिए हितकर होगा। 
उधर गुलमोहर और निलगिरी जैसे वृक्ष को अपने देश के पर्यावरण के लिए हानिकारक बताया जाता है।

पीपल, बरगद और नीम जैसे वृक्षों में हमारे पूर्वजों ने देवताओं का वास स्थान मान कर पूजन करते आए हैं।इन पेड़ों के रोपने का काम बंद होने से सूखे की समस्या बढ़ती जा रही है। गौरतलब यह है कि ये सारे वृक्ष वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाते है। साथ ही, धरती के तापमान को भी कम करते है।   


दूसरी ओर हमने इन वृक्षों के पूजने की परंपरा को अन्धविश्वास मानकर फटाफट संस्कृति के चक्कर में इन वृक्षों से अपनी दूरी बढ़ाते चले आ रहे हैं।
यूकेलिप्टस जिसे नीलगिरी भी कहते हैं।इस वृक्ष को सड़क के दोनों किनारे लगाने की शुरूआत की गई है।

यूकेलिप्टस पेड़ का विकास तो तेजी से होता है लेकिन ये वृक्ष दलदली जमीन को सुखाने के लिए लगाए जाते हैं। इन वृक्षों से धरती का जलस्तर तेजी से घट जाता हैं जो लाभकारी नहीं होता हैं।

शास्त्रों में पीपल को वृक्षों का राजा कहा गया हैं। एक श्लोक में 
   
मूले ब्रह्मा त्वचा विष्णु शाखा शंकरमेवच।
पत्रे पत्रे सर्वदेवायाम् वृक्ष राज्ञो नमोस्तुते।।

अर्थात जिस वृक्ष के जड़ में ब्रह्मा तने पर श्रीहरि विष्णु एवं शाखाओं पर देवादि देव महादेव भगवान शंकर का वास है। वृक्ष के पत्ते पत्ते पर कोटि-कोटि देवताओं का वास है।

 पीपल, बड़ , नीम आदि पेड़ों का वृक्षारोपण किया जाएगा, तभी भारत देश प्रदूषणमुक्त हो सकता है।
अपने घरों में तुलसी के पौधा लगाया जाता रहा है।