इलाजरत टीबी मरीजों को बीच में दवा छोड़ना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
इलाजरत टीबी मरीजों को बीच में दवा छोड़ना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
-मरीजों को बीच में दवा न छोड़ने के लिए वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षिका श्वेतनिशा सिंह कर रहीं हैं प्रेरित
P9bihar news
प्रमोद कुमार
सीतामढ़ी। क्षय रोग टीबी से पीड़ित मरीज अगर इलाज के दौरान बीच में दवा छोड़ते हैं, तो यह उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगा। हर टीबी मरीज को दवा का पूरा कोर्स करना जरूरी है। तभी टीबी जैसी जानलेवा बीमारी से मुक्ति मिल सकती है। ये बातें डुमरा पीएचसी में कार्यरत वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षिका श्वेतनिशा सिंह ने टीबी मरीजों को बतायी।
उन्होेंने बताया कि कई ऐसे मरीज होते हैं। जो इलाज के दौरान बीच में ही दवा खाना छोड़ देते हैं। दरअसल जब वे दवा खाना शुरू करते हैं। उसके बाद उन्हें स्वास्थ्य लाभ मिलने लगता है। इसी उत्साह में वह दवा लेना बीच में ही छोड़ देते हैं। जिसका प्रतिकूल असर उनके स्वास्थ्य लाभ पर पड़ने लगता है। इसलिए हर टीबी मरीज को दवा नियमित खाना चाहिए।
डॉ श्वेतनिशा ऐसे मरीजों को प्रेरित कर बतायी कि ऐसे मरीजों को दवा बीच में बंद नहीं करना चाहिए। कई बार मरीजों को मान-मनौव्वल और कड़ाई भी दिखानी पड़ती है। अभी तक दर्जनों ऐसे लोग हैं जो इलाज के बीच दवा छोड़ दिये थे। लेकिन समझाने के बाद वो फिर से दवा खाना शुरू किए और स्वस्थ्य हुए।
छह माह का कोर्स पूरा करना जरूरी-
श्वेतनिशा ने बताया कि टीबी मरीजों को छह माह तक दवा खाना बेहद जरूरी है। चिकित्सक के बताये अनुसार पूरा इलाज कराएं, दवा को बीच में छोड़ने की भूल न करें। ऐसा करने से आपकी बीमारी बढ़ सकती है। मरीज को एमडीआर टीबी होने की संभावना बढ़ जाती है। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिला यक्ष्मा केंद्र समेत सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर निशुल्क जांच व उपचार की सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में जांच से लेकर दवा तक निशुल्क उपलब्ध है। बेवजह बाहर के अस्पताल का चक्कर न लगाएं।