सांस्कृतिक कार्यक्रम में कलाकारों ने शमां बांधा  चिरांद में गंगा महाआरती के बाद पूरी रात  विविध कार्यक्रम

सांस्कृतिक कार्यक्रम में कलाकारों ने शमां बांधा  चिरांद में गंगा महाआरती के बाद पूरी रात  विविध कार्यक्रम

सांस्कृतिक कार्यक्रम में कलाकारों ने शमां बांधा  चिरांद में गंगा महाआरती के बाद पूरी रात  विविध कार्यक्रम

राकेश कुमार सिंह, सोनपुर :-
सारण गाथा एवं अन्य कार्यक्रमों ने लोगों का मन मोह लिया।
चिरांद में गंगा, सरयू, सोन के संगम तट पर आयोजित गंगा महाआरती के बाद पूरी रात श्रद्धालु सांस्कृतिक धारा में गोते लगाते रहे। इस दौरान देशभर से आए कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से लोगों का मन मोहा और वाह-वाह करने पर विवश कर दिया। खासकर, सारण गाथा, झांकी और भजन कार्यक्रमों ने श्रद्धालुओं को सुबह तक बांधे रखा और पूरी रात तालियां बजती रहीं।


सारण गाथा के कलाकारों ने अपने प्रस्तुति के माध्यम से सारण की महिमा का गान किया। रूचि रंजन, रानी, सुषमा, साल्वी, मनाली, अंजलि, रवि, मनोज, मुकेश, अतुल, विशाल, संजू, कलश नारायण, रिशु आदित्य राठौर, प्रतीक, आदित्य पांडेय, शिवांगी, पूनम, मनीषा, शिवांगिनी आदि कलाकारों ने बेहतरीन प्रस्तुति दी।

तबला पर इनका संगत किया अमलेंदु मिश्र ने और हारमोनियम पर साथ दिया धनंजय मिश्र ने। गीत प्रदीप सौरभ और आशीष मिश्र ने गाए तो नृत्य निर्देशन नारायणजी एवं राहुलजी ने किया। सत्यम कला मंच, छपरा के प्रदीप सौरभ के निर्देशन में हुए कार्यक्रम से दूर-दराज से आए श्रद्धालु सारण के गौरवशाली अतीत से रूबरू हुए।


भजन कार्यक्रम में रत्नेश रत्न और अनिश ने एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुति दी और इस दौरान श्रद्धालु भक्ति रस में गोते लगाते रहे। मढ़ौरी की कुमारी रूपा और उनके गुरु बनारस के बख्शी विकास की तरफ से पारंपरिक कथक नृत्य की प्रस्तुति दी गई। इस नृत्य ने गणमान्य लोगों के साथ ही आम जनमानस का मन मोह लिया। इस दौरान रीना तिवारी ने हारमोनियम पर संगत किया।

झांकी की अद्भुत प्रस्तुति
गंगा महाआरती के सांस्कृतिक मंच से राधा-कृष्णा की झांकी प्रस्तुत की गई, जिसने सभी को भाव-विभोर कर दिया। गोरखपुर से आए श्याम तिलकधारी और साथियों ने इस झांकी की प्रस्तुति दी। वहीं, पटना के चंदन श्रीवास्तव और उनकी टीम ने देवी जागरण प्रस्तुत किया। गंगा गीत रूचि रंजन और रानी कुमारी ने गाए और इसी के साथ गंगा तट पर मौजूद श्रद्धालु मां गंगे की भक्ति भावना में डूबते-उतराते रहे।