जीवंत ज्ञान व्यवस्था का निर्माण ही अनुसंधान का उद्देश्य : प्रो. यतींद्र सिंह सिसोदिया

जीवंत ज्ञान व्यवस्था का निर्माण ही अनुसंधान का उद्देश्य : प्रो. यतींद्र सिंह सिसोदिया

जीवंत ज्ञान व्यवस्था का निर्माण ही अनुसंधान का उद्देश्य : प्रो. यतींद्र सिंह सिसोदिया

P9bihar news 

प्रमोद कुमार 

मोतिहारी।
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित शोध प्रविधि पाठ्यक्रम के पांचवें दिन चार तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। देश के सभी राज्यों से आए कुल 30 प्रतिभागियों को इन सत्रों में देश के प्रख्यात विषय विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिया गया।

सत्र प्रारंभ होने के पूर्व प्रतिभागियो ने पिछले कार्य दिवस के रिपोर्ट को प्रस्तुत किया।तकनीकी सत्र 15 में विषय विशेषज्ञ मध्य प्रदेश इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस रिसर्च, उज्जैन के निदेशक एवं प्रो. यतींद्र सिंह सिसोदिया ने कहा की एक जीवंत ज्ञान व्यवस्था का निर्माण ही अनुसंधान का उद्देश्य है।

एक अनुसंधान वातावरण के लिए अध्ययन, अध्यापन एवं अनुसंधान का परस्पर संबंध स्थापित होना जरूरी है। अनुसंधान आलेखों में भाषा ज्ञान विषय पर बोलते हुए प्रो. सिसोदिया ने कहा की शोध रिपोर्ट का अपना एक निश्चित क्रम होता है एवं एक भाषा होती है।

सत्र के विशेष संबोधन में महात्मा गांधी केंद्र विश्वविद्यालय की राजनीति विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ. सरिता तिवारी ने कहा कि इस प्रकार के विशेष व्याखानों से अनुसन्धान की गुणवत्ता उत्कृष्ट होती है एवं इस नव अंकुरित विश्वविद्यालय में ऐसे आयोजनों से शोध की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।

सत्र 16 में प्रो. सिसोदिया ने सर्वे अनुसंधान पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अनुसंधान एक समग्र प्रक्रिया है। डॉ. सिसोदिया ने शोध कथन, शोध प्रश्न, प्रतिचयन पद्धति एवं सर्वे के लिए प्रश्नावली के निर्माण पर विषेश बल दिया। उन्होंने सर्वे अनुसंधान के विभिन्न पक्षों पर विस्तृत चर्चा की।

दोनो सत्रों के अध्यक्ष महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. सुनील महावर ने कहा कि किसी भी प्रकार के शोध कार्य के लिए सर्वे एक बहुत ही उपयोगी एवं महत्वपूर्ण उपकरण है। सर्वे द्वारा अनुसंधान करने से शोध की उपयोगिता एवं प्रासंगिकता बढ़ जाती है।

सत्र 17 में वक्तव्य देते हुए विषय विशेषज्ञ महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. कैलाश चंद्र प्रधान ने बताया कि किस प्रकार से शोध परिकल्पनाओं का निर्माण किया जाना चाहिए एवं उनकी वैधता की जांच किस प्रकार हो। उन्होंने बताया कि शोध परिकल्पना, अनुसंधान विषय के बारे में एक संभावित कथन होता है।

इस सत्र की अध्यक्षता करते हुए महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रो. आनंद प्रकाश ने बताया की शोध परिकल्पना हमारे शोध प्रश्नों के ही संभावित उत्तर होते है। इनका निर्माण शोध को वैज्ञानिक आधारशिला प्रदान करता है।


इस पाठयक्रम के अठारहवें तकनीकी सत्र मे विषय विशेषज्ञ चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. अतवीर यादव ने अनुसंधान में कोरिलेशन एवं रिग्रेशन तकनीक के उपयोग पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया की ऐसे साहित्यिक उपचारों के प्रयोग से अनुसंधान आलेखों को वैज्ञानिक प्रारूप प्रदान करते हैं।

इस सत्र के अध्यक्षीय संबोधन में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ. सरिता तिवारी ने बताया कि ऐसे विभिन्न उपचारों की सहायता से वेरिएबल एवं को-वेरिएबल के मध्य संबंध स्थापित किया जाता है। इस से अनुसंधान सुव्यवस्थित होता है एवं उसकी प्रयोगिकता बढ़ जाती है।


इस पाठ्यक्रम के निदेशक महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र कुमार आर्य ने बताया की पाठ्यक्रम के द्वारा आज प्रतिभागियों को शोध परिकल्पना के निर्माण एवं शोध आलेखों को लिखने की उचित विधि के बारे में बताया गया।

पाठ्यक्रम के सह निदेशक डॉ. नरेंद्र सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा अनुसंधान में सर्वे की सही एवं व्यवस्थित जानकारी होना आवश्यक है। यह शोध प्रविधि पाठ्यक्रम आगामी दिनों तक जारी रहेगा एवं प्रत्येक दिन देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रख्यात विषय विशेषज्ञों द्वारा अनुसंधान से संबंधित अनेक विषयों पर व्याख्यान दिया जाएगा।