युवाओं के पहल से लावारिस का इलाज शुरू सरकारी मानक धत्ता

युवाओं के पहल से लावारिस का इलाज शुरू सरकारी मानक धत्ता

युवाओं के पहल से लावारिस का इलाज शुरू सरकारी मानक धत्ता

सत्येन्द्र कुमार शर्मा, सारण :- लावारिस का इलाज सरकारी दिशा निर्देश के लिए अहम सवाल हो गया है।यह एक नई बात सामने आई जिसमें असहाय लावारिस का इलाज करने एवं कराने मेंं तकनीकी समस्या है।


जैसा कि छपरा में युवाओं ने मानवता की एक नई मिसाल पेश किया है।सदर अस्पताल प्रबंधन अज्ञात महिला का इलाज करने से इनकार करता रहा तो युवाओं ने उसे पीएमसीएच में भर्ती कराया है।


जी हाँ छपरा जिला मुख्यालय में मानवता को संदेश देते हुए युवाओं ने एक मिसाल कायम कर दिखाया है। छपरा सदर अस्पताल के मुख्य द्वार पर ही विगत एक सप्ताह से जमीन पर पड़े अज्ञात लावारिस महिला को युवाओं ने इलाज के लिए पीएमसीएच भेजवाया दिया है।

जब धूप बारिश में असहाय अस्पताल परिसर के जमीन पर पड़ी महिला के बारे में अस्पताल प्रबंधन ने अनभिज्ञता जाहिर की। सारण जिले के तमाम समाजसेवी संस्थाओं ने जब कोई सुधि नहीं ली। वहीं स्थानीय युवाओं ने बारिश में भींग रही महिला को न सिर्फ वहां से उठाया बल्कि साफ सफाई करते हुए उसे मौजूद डॉक्टर से इलाज भी कराया। वहीं मौजूद डॉक्टर हरेंद्र कुमार द्वारा प्राथमिक उपचार करने के बाद उसे बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच पटना रेफर कर दिया गया।


लेकिन स्थानीय युवाओं द्वारा उक्त महिला को पीएमसीएच भेजने के लिए कुछ पैसे भी एकत्रित कर दिए गए सरकारी एंबुलेंस के लिए बात भी हो गई तो 102 एंबुलेंस चालक मौके पर पहुंचा लेकिन चालक के द्वारा यह कह कर इंकार कर दिया गया कि अज्ञात मरीज़ को हम लोग किसी अस्पताल में नहीं ले जा सकते हैं।

अब सवाल यह उठता है कि आखिर सरकार की तमाम योजनाएं, सरकारी सेवाएं आखिर किसके लिए बनी है जब कोई अनाथ, बेसहारा लाचार अस्पताल पहुंचे तो उसके इलाज ही नहीं हो पाए।


गौरतलब यह है कि सरकार द्वारा बड़े-बड़े मंचों से बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जाती है। यहां तक की शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक बड़े-बड़े विज्ञापन होर्डिंग पोस्टर लगा तमाम तरह के योजनों के प्रति जागृत किया जाता है लेकिन घरातल पर कुछ और देखने को मिलता है। जिसका बानगी छपरा सदर अस्पताल में देखने को मिला। लावारिस महिला के बारे में कुछ जानकारी नहीं मिल पा रही है।

शारीरिक रूप से कमजोर महिला को किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा अस्पताल में लाकर छोड़ दिया गया था, लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा अनदेखा कर दिया गया। बेहद कमजोर महिला सिर्फ फर्श पर सोई रहती थी।

किसी भी अस्पताल कर्मी के द्वारा उचित देखरेख नहीं की गई और जब स्थानीय युवाओं के द्वारा उसकी मदद के लिए कदम बढ़ाया गया तो सरकारी तंत्र ने अपने हाथ भी पिछे खींच लिए जाने की बात सामने आई है।