टीबी हुआ तो सब ने बना ली दूरी, आज करते हैं साथ मे मजदूरी

टीबी हुआ तो सब ने बना ली दूरी, आज करते हैं साथ मे मजदूरी

टीबी हुआ तो सब ने बना ली दूरी, आज करते हैं साथ मे मजदूरी

टीबी को मात देने वाले सीताराम मांझी के परिवार में फिर से लौटी खुशियां। करने लगा काम , चलाने लगा परिवार

P9bihar news 

प्रमोद कुमार 

सीतामढ़ी। 

काम छूटा, घर का साथ छूटा और खुद खाट में ही जकड़ गया। मेहनत मजदूरी कर परिवार का पेट पालने वाले सीताराम मांझी की दास्तां दुखदायी है। सीताराम मांझी का घर खुशियों से भरा था। वह खेती करके अपने परिवार को पालता था। लेकिन करीब डेढ़ साल पहले जब पता चला कि उसे टीबी हो गया है तो उसके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उसकी जिंदगी छोटे से घर के एक कोने में लगी खाट तक सिमट कर रह गई।

जब आस-पड़ोस में लोगों को इस बात की जानकारी हुई तो लोगों उससे किनारा कर लिया। परिवार के सदस्यों का व्यवहार भी बदलने लगा।  परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया। परिवार को पालने की चिंता उसे और कमजोर करते जा रही थी। फिर उसे साथ मिला जिला यक्ष्मा केंद्र का। यक्ष्मा केंद्र के कर्मियों ने उसे सहारा दिया।उसका इलाज शुरू शुरू हुआ और आठ महीने दवा खाने के बाद वह पूरी तरह स्वस्थ हो गया। 

फिर से बन गया घर का सहारा 

टीबी को मात देने के बाद सीताराम मांझी अब काम करने लगा है। मजदूरी कर परिवार चलाने लगा है। वह फिर से घर का सहारा बन गया है। जिंदगी जीने की उम्मीद छोड़ चुके सीताराम को आज उसके पड़ोसी इज्जत और सम्मान की नजरों से देखते हैं। उसके साथ चाय पीने से लेकर साथ मे काम करते हैं। सीताराम अपने बीते कल को याद कर भावुक भी हुए, उनका दुख भी छलका। बताया कि जब उसे लोगों की मदद की जरूरत थी तो लोग उससे दूरी बना रहे थे। लेकिन वह इस बात से टुटे नहीं। मजबूत इरादों के साथ टीबी से लड़ाई लड़ी और परिणाम आपके सामने है। 

लक्षण वाले व्यक्ति रोग को छिपाएं नहीं

जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि समाज में टीबी रोगियों से भेदभाव नहीं होना चाहिए, इससे उनका मनोबल टूटता है।
इस बीमारी से उबरने में डॉक्टरों के साथ-साथ परिवार और समाज का पूरा सहयोग मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि जिला को टीबी से पूर्णत: मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग कृत-संकल्पित है।

उन्होंने अपील की कि यदि टीम के लोग किसी के घर पहुंचे तो टीबी के लक्षण वाले व्यक्ति अपने रोग को छिपाएं नहीं, बल्कि लक्षणों के बारे में खुलकर बताएं। टीबी रोग की पुष्टि होने पर उनका समुचित इलाज होगा।  टीबी रोग पाए जाने पर रोगियों को मुफ्त दवाएं देने के साथ ही प्रतिमाह पांच सौ रुपये पोषण राशि देने का भी प्रावधान है।