टीबी रोगियों का बनने सच्चा मित्र, राजीव बन गए निक्षय मित्र

टीबी रोगियों का बनने सच्चा मित्र, राजीव बन गए निक्षय मित्र

टीबी रोगियों का बनने सच्चा मित्र, राजीव बन गए निक्षय मित्र

P9bihar news 

प्रमोद कुमार 
वैशाली।
देखिए, पहल तो सबसे पहले हमें करनी ही चाहिए। यह कोई खर्चीला काम तो नहीं है, हां थोड़ी इच्छा शक्ति हो तो आप भी टीबी रोगियों के सच्चे मित्र, यानी निक्षय मित्र बन सकते हैं। यह कहते हुए जिला यक्ष्मा केंद्र में सीनियर डीपीएस राजीव थोड़े संजीदे हो जाते हैं। राजीव कहते हैं, यक्ष्मा विभाग से लेकर टीबी सेंटर तक हजारों टीबी मरीज के बीच मैंने लगभग 20 साल गुजारे हैं। मैं अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि टीबी कुपोषण के कारण होते हैं।

अगर टीबी के दौरान दवा और पोषण दोनों मिले तो इनके स्वास्थ्य में गुणात्मक सुधार होता है। बस इसी सोच निक्षय मित्र की योजना ने मेरे कदम दस टीबी रोगियों की तरफ बढ़ाए। मैंने उनको पोषण की पोटली की पहली खेप भी दे दी है। पूरे कोर्स के दौरान मैं इनके पोषण में मदद करता रहूंगा। मेरे ही साथ सिविल सर्जन डॉ श्यामनंदन प्रसाद भी निक्षय मित्र बनकर छह टीबी रोगियों को गोद ले चुके हैं। अगर कुल निक्षय मित्र की संख्या गिनी जाए तो वैशाली में कुल 65 टीबी रोगियों को गोद लिया गया है।सीनियर डीपीएस राजीव कहते हैं कि टीबी रोग में सरकार दवा निशुल्क उपलब्ध कराती है।

चूंकि टीबी का सीधा संबंध पोषण से है इसलिए इसमें दवाओं के साथ पोषण युक्त आहार बिल्कुल जरूरी है। राजीव फिर कहते हैं 90 प्रतिशत लोगों में टीबी के विषाणु मौजूद होते हैं, उन्हें पनपने के लिए बस कुपोषित शरीर चाहिए। दिहाड़ी, माइग्रेंट मजदूरों के साथ भी पोषण के अभाव में टीबी उन्हें अपनी जद में ले लेती है।

टीबी होने के बाद प्रोटीन युक्त भोजन बहुत महत्वपूर्ण होता है।राजीव कहते हैं विभाग निक्षय मित्र बनने के लिए लगातार लोगों को प्रोत्साहित और जागरूक करता रहता है। इसी क्रम में हाजीपुर इंडस्ट्रियल एरिया में मौजूद कुछ औद्योगिक संस्थानों से बात कर रही है। उनके अपने सामाजिक दायित्व भी है जिसके अंतर्गत वह बड़ी संख्या में टीबी रोगियों को गोद लेकर निक्षय मित्र बन सकते हैं।