निजी क्लिनिक फेल, एसएनसीयू में बची मासूम की जान

निजी क्लिनिक फेल, एसएनसीयू में बची मासूम की जान

निजी क्लिनिक फेल, एसएनसीयू में बची मासूम की जान

प्रमोद कुमार 

सीतामढ़ी। 
सदर अस्पताल में स्थित स्पेशल न्यू बोर्न केअर यूनिट (एसएनसीयू) नवजात से लेकर एक माह तक के बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यह देखने को मिला, जब 15 दिन पूर्व जन्मी बच्ची की जान चिकित्सकों ने एसएनसीयू के जरिए बचा ली। सीतामढ़ी के रिगा की एक नन्ही परी ने नया जीवन पा लिया है।

यह मासूम जब 4 दिन की थी तो निजी क्लिनिक के डॉक्टरों ने परिवार को कह दिया था कि बच्ची का बचना मुमकिन नहीं है, क्योंकि इसका ऑक्सीजन लेवल और वजन काफी कम था। नाजुक हालत में बच्ची को सदर अस्पताल के एसएनसीयू में एडमिट कराया गया। एसनसीयू के डॉक्टरों ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार प्रयास किए कि बच्ची बच जाए। 10 दिनों से एडमिट बच्ची अब पूरी तरीके से स्वस्थ्य है।

वह बिना ऑक्सीजन के सांस ले रही है। एसएनसीयू के डॉ ओमकान्त शर्मा ने बताया कि बच्ची निजी अस्पताल में जन्म ली थी। जन्म के बाद सांस लेने में तकलीफ और कम वजन की वजह से निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने बच्ची के परिवार के लोगों से कहा कि यह बच्ची बच नहीं पाएगी। बच्ची को कहीं दूसरी जगह ले जाएं। जिसके बाद बच्ची की मां और पिता ने बच्ची को एसएनसीयू में भर्ती कराया।

डॉ. शर्मा ने कहा कि कि बच्ची की हालत बहुत ही नाजुक थी। लेकिन हमने उम्मीद नहीं छोड़ी थी। बेहतर इलाज और पूरे स्टाफ ने भरसक प्रयास किए। जिसके कारण बच्ची की जान बचाई जा सकी है। अब वह कुछ दिनों में अपने घर जा सकेगी। मासूम को सलामत देखकर बच्ची की मां मनीषा कुमारी और पिता लखिन्द्र राय ने अस्पताल के डॉक्टरों का आभार जताते हुए कहा है कि जिंदगी भर वह यहां के डॉक्टरों को भूल नहीं पाएंगे। सरकारी अस्पताल के बारे में लोग यह आरोप लगाते हैं कि डाॅक्टर इलाज नहीं करते और मरीजों की ठीक से देखभाल नहीं होती।

लेकिन डॉक्टरों ने हर समय देखरेख की है। जब भी हम बच्ची के बारे में पूछते थे तो डॉक्टर सिर्फ यही कहते थे कि आप चिंता मत करिए बच्ची बच जाएगी।सदर अस्पताल की उपाधीक्षक डॉ. सुधा झा ने बताया कि जिले की स्वास्थ्य सेवाएं अपनी बेहतरी की ओर लगातार आगे बढ़ रही है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार व्यवस्था के सुधार में लगी है। सदर अस्पताल परिसर में संचालित एसएनसीयू जिला में स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण को दर्शाता है।

अत्याधुनिक सुविधाओं वाला एसनसीयू बच्चों के इलाज के साथ शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में मील का पत्थर साबित हो रहा है। इस यूनिट में प्रतिमाह 150 से अधिक नवजात बच्चों का इलाज हो रहा है तथा उन्हें असमय काल के गाल में समाने से बचाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एसएनसीयू वार्ड में 0 से 28 दिन तक के बच्चों को भर्ती किया जाता है।  एसएनसीयू में 24 घंटे चिकित्सक के साथ स्टाफ नर्स तैनात रहती हैं,

जो शिशु के एडमिट होने के साथ ही उनकी सेवा में तत्परता से जुट जाती। एसएनसीयू में कुल 12 बेड लगाये गए हैं। एसएनसीयू में विशेषज्ञ चिकित्सक सहित कुल पांच चिकित्सक, 12 स्टाफ नर्स और 5 ममता नियुक्त हैं। एसएनसीयू में रेडियो वॉर्मर, ऑक्सीजन की सुविधा के साथ साथ जॉन्डिस से पीड़ित बच्चों के लिए फोटो थैरेपी की सुविधा भी है।