बाल हृदय योजना ने आराध्या के दिल के जख्म भर दिए
बाल हृदय योजना ने आराध्या के दिल के जख्म भर दिए
प्रमोद कुमार
सीतामढ़ी।
बाल हृदय योजना ने रीगा ब्लॉक के बभनगामा गांव की आराध्या के जख्म भर दिए हैं। योजना के तहत आराध्या का अहमदाबाद में सफल ऑपरेशन कर नई धड़कन दी गई। यह योजना आराध्या और उसके परिवार के लिए वरदान साबित हुई है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि जन्मजात बीमारियों से ग्रसित बच्चों को बीमारियों से उभारने के लिए जिले भर में हमारी टीमें लगातार प्रयासरत है। इसी तहत रीगा निवासी आराध्या के दिल का इलाज करवाकर उसे स्वस्थ्य जीवन जीने का हक दिया गया। डॉ राजीव ने बताया कि सात वर्षीय आराध्या की तबीयत बचपन से खराब रहती थी।
उसे सांस लेने में तकलीफ होने से माता पिता भी चिंतित थे। इलाज के लिए जहां-तहां अस्पतालों में भटक रहे थे। तभी आरबीएसके की टीम ने बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान आराध्या को हृदय रोग के लक्षणों से ग्रसित पाया। टीम ने आराध्या का रेफरल कार्ड बनाकर सीतामढ़ी सदर अस्पताल भेजा। वहां से उसे स्क्रीनिंग के लिए इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान (आईजीआईएमएस), पटना भेजा गया।
स्क्रीनिंग में रोग की पुष्टि होने के बाद ऑपरेशन के लिए हवाई जहाज से अहमदाबाद के लिए भेजा गया। वहां से सफल ऑपरेशन होने के बाद उसे एम्बुलेंस से घर तक छोड़ा गया। अपनी बिटिया के सफल ऑपरेशन के बाद अभिषेक रंजन और प्रियंका देवी काफी खुश हैं। अभिषेक ने कहा कि उनकी बेटी का स्वस्थ्य होकर घर लौटना यह उनके जीवन की सबसे बड़ी खुशी का पल था।
उन्होंने यह उम्मीद ही छोड़ दी थी कि कभी उनकी बेटी स्वस्थ्य हो सकेगी। लेकिन सरकार के प्रयास से यह संभव हो सका है। उन्होंने कहा- मेरी बिटिया अब पूरी तरह से स्वास्थ्य है। मेरे आंगन में खुशिया चहक रही है। घर के अंदर खुशी का माहौल है।
यह ऑपरेशन पूरी तरह से नि:शुल्क किया गया है। यदि मैं निजी अस्पताल में यह ऑपरेशन कराता तो कम से कम 3 से 4 लाख रूपये खर्च हो जाते। यह खर्चा उठाना मेरे लिए काफी मुश्किल था।डॉ राजीव कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बिहार सरकार बाल हृदय योजना संचालित कर रही है।
इस योजना के तहत 18 वर्ष तक के बच्चों का निशुल्क इलाज कराया जा रहा है। बच्चों में होने वाले कुल 38 रोगों के निःशुल्क इलाज का प्रावधान है। इसमें चर्म रोग, दांत व आंख संबंधी रोग, एनीमिया, हृदय संबंधी रोग, श्वसन संबंधी रोग, जन्मजात विकलांगता, बच्चे के कटे होंठ व तालू संबंधी रोग शामिल हैं।
बीमार बच्चों को चिह्नित करने के लिए आरबीएसके टीम द्वारा जरूरी स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। शून्य से छह साल तक के बच्चों में रोग का पता लगाने के लिए आंगनबाड़ी स्तर व छह से 18 साल तक के बच्चों में रोग का पता लगाने के लिए विद्यालय स्तर पर स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन नियमित अंतराल पर किया जाता है।