सुनीता के दिल में है ममता का भंडार कुपोषित बच्चों पर लुटाती हैं सारा प्यार
सुनीता के दिल में है ममता का भंडार कुपोषित बच्चों पर लुटाती हैं सारा प्यार
प्रमोद कुमार
शिवहर।
सदर अस्पताल स्थित पोषण एवं पुनर्वास केंद्र बच्चों को न केवल नवजीवन प्रदान कर रहा है, बल्कि कुपोषण के खिलाफ बड़ा हथियार भी साबित हो रहा है। सदर अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चों को पौष्टिक भोजन के जरिए कुपोषण से बचाया जा रहा है। बच्चों को कुपोषण से सुपोषण की ओर लाने की मुहिम में एनआरसी की नर्सिंग स्टाफ सुनीता तिवारी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
सुनीता के दिल में ममता का भंडार है और सभी बच्चों को हष्ट-पुष्ट देखने की चाहत। तभी तो वह कुपोषित बच्चों पर अपने बच्चों की तरह प्यार लुटाती हैं। सदर अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र में बतौर नर्सिंग स्टाफ सुनीता तिवारी अपनी सेवाएं दे रही हैं। बच्चों की देखभाल, समय पर दवा-भोजन व पूरे समय उनका ख्याल रखने का काम उनकी ड्यूटी नहीं बल्कि दिनचर्या का हिस्सा हो गया है।
सुनीता बताती हैं कि बच्चों को दवा देने से लेकर उनके हाइजीन का ख्याल वह रखती हैं। समय पर डॉक्टर से जांच करवाती हैं। कई बार माता-पिता बच्चे को भर्ती करने से मना कर देते हैं, उन्हें मोटिवेट करती हैं कि वे अपने बच्चे को एनआरसी में भर्ती कराएं। सुनीता तिवारी कहती हैं कि नर्सिंग का मूल उद्देश्य मरीज की सेवा करना होता है और पोषण पुनर्वास केंद्र में विशेष रूप से कुपोषित व गरीब बच्चों की सेवा करने से उस उद्देश्य की पूर्ति हो रही है।
उनका कहना है कि इससे आत्मिक संतोष मिलता है जो बहुत बड़ा उपहार है। सुनीता बताती हैं कि वे अपने घर के सभी कामों व अपनी ड्यूटी में सामंजस्य बैठाते हुए नर्सिंग की मूल भावना का निर्वहन कर रही हैं। उनकी ड्यूटी कभी रात की तो कभी दिन की लगती रहती है, लेकिन वह सहज भाव से बच्चों की सेवा करती हैं।कुपोषण का शिकार हुई रूबी की मां संगीता पोषण पुनर्वास केंद्र में आकर काफी खुश हैं।
संगीता ने बताया कि सुनीता मैडम उनकी बेटी का अच्छे से ख्याल रखती हैं। उसका उचित देखभाल और इलाज कर रहीं हैं। संगीता देवी को पूरा भरोसा है कि उसकी लाडली जल्द स्वस्थ हो जाएगी और हंसते मुस्कराते घर चली जाएगी। सुनीता बताती हैं कि यहां कुपोषित बच्चों को 14 से 21 दिन के लिए भर्ती किया जाता है और उनको पौष्टिक आहार व दवाएं देकर स्वस्थ व पोषित किया जाता है।
बच्चों के साथ उनकी मां को भी यहां रखने का प्रावधान है। आशाएं, एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कुपोषित बच्चे को लाकर यहां भर्ती करते हैं। सुनीता ने कहा कि इस केंद्र में अब तक दर्जनों कुपोषित बच्चों का इलाज कर उन्हें स्वस्थ किया जा चुका है।