पार्वती देवी खेतान की द्वितीय पुण्यतिथि पर सम्मान समारोह
पार्वती देवी खेतान की द्वितीय पुण्यतिथि पर सम्मान समारोह
प्रमोद कुमार
मोतिहारी,पू०च०।
मुंशी सिंह महाविद्यालय के सभागार में पार्वती देवी खेतान की द्वितीय पुण्यतिथि पर विशेष सम्मान समारोह सह अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सह मुशायरे का दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन करते हुए पूर्व कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सह सांसद राधामोहन सिंह ने कहा कि खेतान परिवार से मेरा पुराना संबंध रहा है
और आज इस कार्यक्रम में आकार मुझे प्रसन्नता हो रही है।उन्होंने कहा कि आज के इस कवि सम्मेलन की सफलता की मैं कामना करता हूं।उद्घाटन सत्र को बिहार सरकार के विधि एवं गन्ना विकास मंत्री प्रमोद कुमार,विशेष अतिथि सुनील कुमार राय और सुप्रसिद्ध लोकगायिका सह केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की सदस्या डॉ.नीतू कुमारी"नूतन" ने भी संबोधित किया।
सम्मान समारोह के दरम्यान कोरोना के भयावह दौर में अपनी सेवाएं देने वाले नामचीन चिकित्सक डॉ.आशुतोष शरण, डॉ अतुल कुमार,अंग्रेजी पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ.चंद्रभूषण पांडेय,संगीत(तबला वादन)के क्षेत्र में सतत योगदान हेतु शैलेंद्र कुमार सिन्हा,काव्य लेखन के क्षेत्र में नवीनतम प्रयोगों के लिए जनाब गुलरेज शहज़ाद.रक्तदान
अभियान के लिए अनिरुद्ध लोहिया, कोरोना काल में निःशुल्क ऑक्सीजन मुहैय्या करवाने के लिए राजन श्रीवास्तव और पर्यावरण तथा गौरैया संरक्षण के लिए पंचकोटि महामणि सुशील कुमार को प्रशस्ति पत्र,पुष्पगुच्छ अंगवस्त्रम और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
इसके बाद कवि सम्मेलन की शुरुआत हुई।सबसे पहले संचालक प्रो.(डॉ.)अरुण कुमार ने चंपारण की सुदीर्थ काव्य परंपरा पर टिप्पणी करते हुए प्रयागराज की धरती से पधारे कवि शैलेश गौतम को निमंत्रित किया।शैलेश गौतम ने अपने निराले अंदाज में सुनाया,
लिखा किया रह जाएगा रहता नहीं शरीर।
इसी लिए मरते नहीं तुलसी,सूर कबीर।।
चंपारण के मशहूर शायर गुलरेज शहजाद ने कहा
लगा कर ध्यान बैठे हैं मगर हैं ज्ञान से खाली।
फकत आसन लगाने से कोई गौतम नहीं होता।।
इसके बाद कार्यक्रम के आयोजक,सुप्रसिद्ध डॉक्टर और कवि डा.प्रकाश खेतान ने अपने हास्य परक कविताओं की अविकल प्रस्तुति द्वारा श्रोताओं को भरपूर गुदगुदाया।उन्होंने कहा
लिखता हूं,गुनगुनाता हूं.
रात भर की थकान मंचों पे मिटाता हूं।
सुपौल से पधारे वरिष्ठ कवि गीतकार और पूर्व डी.आई.जी. अनिल कुमार सिंह ने अपने साढ़े हुए अंदाज में कहा
वफ़ा,खुलुस,मुरव्वत है सबके चेहरों पर,
यहां तो कोई भी हमको बनावटी न मिला।मुशायरे को परवान चढ़ाते हुए उर्दू गजल के मर्मज्ञ डॉ.कलीम कैंसर(गोरखपुर)ने तरन्नुम में शेर पढ़ते हुए फरमाया वो हजारों में जीनेवाले हैं,हम सहारों में जीने वाले हैं।उनको कारों का शौक है और हम संस्कारों में जीनेवाले हैं।अलीगढ़ से पधारे सुप्रसिद्ध गीतकार विष्णु सक्सेना ने श्रोताओं को गीत की गंगा में ऐसे होते लगवाए कि श्रोता वाह वाह करने लगे।उन्होंने अपने सुरीले अंदाज में कहा तू हवा है
तो करले अपने हवाले मुझको।इससे पहले कि कोई और बहा ले मुझको।कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे पूर्व कुलपति और जन गीतकार डॉ.रवींद्र कुमार रवि ने अपने खास अंदाज में जब आपन पॉलिटिक्स बेचीं हम बजरिया में,अइसन माजा नईखे कौनो नोकरिया में।।राती कांग्रेस में रहनी,भोरे भाजपा में अइनी।जनता दल से तो हो अइनी दुपहरिया में।तो सारा प्रशाल ठहाकों से गूंज उठा।
इसके पूर्व शहर के डॉ.विनय सिंह और जनाब ओजैर अंजुम ने भी अपनी कविताओं की प्रस्तुति की।11.00बजे रात्रि तक यह काव्यगोष्ठी चलती रही और श्रोता काव्य गंगा में अवगाहन करते रहे।कार्यक्रम का कुशल संयोजन संस्कृति कर्मी संजय पांडेय और संचालन प्राचार्य प्रो.अरुण कुमार ने किया।अंत में नीता शर्मा,अनिल कुमार वर्मा, सूबेदार प्रदीप द्विवेदी,रणधीर,बालकरण और संतोष को स्मृति चिन्ह,प्रतिष्ठा की चादर और पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया।यह जानकारी प्रेस विज्ञप्ति भेज कर डा.अरुण कुमार ने दी है।