एईएस से बच्चों के बचाव को दो दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन
- ए ई एस के उपचार की दी जा रही है विस्तृत जानकारी
-चयनित 45 ई एमटी को एएनएम/ ए ग्रेड नर्स करा रही हैं प्रशिक्षण
- माता- पिता बच्चों को धूप से बचाएं व ओआरएस का घोल पिलायें
प्रमोद कुमार
मोतिहारी, 31 मार्च। एईएस/ चमकी बुखार से बच्चों की सुरक्षा के लिए जिला स्वास्थ्य समिति पूरी तरह एलर्ट है।
इसी को लेकर मोतिहारी सदर अस्पताल के जीएनएम छात्रावास में गुरुवार को जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरत चंद्र शर्मा, केयर डीटीएल स्मिता सिंह, व राज्य द्वारा चयनित डीएमटी प्रशिक्षकों द्वारा जिले के 45 ईएमटी को एईएस/ चमकी बुखार पर दो दिवसीय विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में बताया जा रहा कि चमकी के मरीजों को एम्बुलेंस पर कैसे लाना है,कैसे तुरंत उपचार करना है, इसके तौर- तरीके बताए गए।
उन्हें बताया गया कि किस प्रकार से शरीर के तापमान की जांच करनी है, उनके ग्लूकोज स्तर का जांच करनी है, किस प्रकार से उन्हें ऑक्सीजन देना है,कौन-कौन सी जरूरी दवाओं का कितना प्रयोग करना है। इस प्रशिक्षण में केयर इंडिया के द्वारा मुख्य भूमिका निभायी जा रही है।
- चमकी के संभवित मामलों को देखते हुए सदर अस्पताल,अनुमंडलीय एवं पीएचसी स्तर पर लगातार तैयारियां की जा रही हैं;
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शरत चंद्र शर्मा ने बताया कि बच्चों में चमकी के संभवित मामलों को देखते हुए सदर अस्पताल, अनुमंडलीय एवं पीएचसी स्तर पर लगातार तैयारियां की जा रही हैं। एक तरफ लोगों को चमकी के प्रति जागरूक किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य कर्मियों को लगातार प्रशिक्षित किया जा रहा है।
ताकि चमकी के मामलों के सामने आने पर किसी प्रकार की कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़े। जिससे कम समय में ही कि गई तैयारियों की बदौलत बच्चों को सुरक्षित किया जा सके। साथ ही जागरूकता से इसके मामलों में भी कमी आ सके ।
- चमकी बुखार से बचाव के लिए जागरूकता भी जरूरी :
डॉ शरत चन्द्र शर्मा ने बताया चमकी बुखार से बचाव के लिए सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता भी बेहद आवश्यक और जरूरी है।
इसलिए, प्रशिक्षण के दौरान संबंधित मरीजों की जरूरी समुचित जाँच और इलाज के साथ-साथ इस बीमारी से बचाव के सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करने की भी जानकारी दी जाएगी। साथ ही मैं तमाम जिले वासियों से अपील करता हूँ कि बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट रहना चाहिए।
समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए। स्वस्थ बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को माँ का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है। अप्रैल से जुलाई तक बच्चों में मस्तिष्क ज्वर की संभावना बनी रहती है। बच्चे के माता-पिता को चमकी बुखार के लक्षण दिखते ही तुरंत जाँच और जाँच के बाद आवश्यक इलाज कराना चाहिए।
- ये है चमकी बुखार के प्रारंभिक लक्षण :
- लगातार तेज बुखार रहना।
- बदन में लगातार ऐंठन होना।
- दांत पर दांत दबाए रहना।
- सुस्ती चढ़ना।
- कमजोरी की वजह से बेहोशी आना।
- चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि।
- चमकी बुखार से बचाव के उपाय;
- बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें।
- गन्दगी से बचें , कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।
- ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
- रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
- बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
- पारासिटामोल की गोली या सिरप दें।