किलकारियों से गूंज रहा मातृ-शिशु अस्पताल

किलकारियों से गूंज रहा मातृ-शिशु अस्पताल

किलकारियों से गूंज रहा मातृ-शिशु अस्पताल

- मातृ-शिशु अस्पताल में जनवरी से मई तक 1484 बच्चों ने लिया जन्म

 प्रमोद कुमार 

शिवहर। स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता और अस्पतालों में दी जा रही सुविधाओं की वजह से संस्थागत प्रसव के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ रहा है। लोगों के इस विश्वास और भरोसे को मातृ-शिशु अस्पताल में देखा जा सकता है। जहां हर महीने सैकड़ों की संख्या में किलकारियां गूंज रही हैं। इस वर्ष जनवरी से मई तक मातृ-शिशु अस्पताल में 1484 बच्चों ने जन्म लिया। जनवरी में 335, फरवरी में 375, मार्च में 308, अप्रैल में 253 और मई में 213 बच्चे जन्मे।

इसके अलावा सदर अस्पताल व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी हर दिन दिन दर्जनों बच्चों की किलकारियां गूंजती हैं। कोरोना काल में भी मातृ-शिशु अस्पताल में सैकड़ों बच्चों ने जन्म लिया। सबसे बड़ी बात यह कि अधिकतर बच्चे सामान्य प्रसव से पैदा हुए हैं। एक-दो मरीज को ही दूसरे जगह रेफर किया गया।अस्पताल की लेबर इंचार्ज अनिता कुमारी ने बताया कि मातृ-शिशु अस्पताल में प्रसव की तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं। 24 घंटे चिकित्सक और कर्मी ड्यूटी कर रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग का संस्थागत प्रसव पर जोर है। आशा द्वारा लगातार गांवों में जागरूकता अभियान चलाया जाता है। यही वजह है कि इस अस्पताल में प्रसव के लिये विश्वास बना हुआ है। उन्होंने बताया कि कोरोना की विषम परिस्थितियों में भी मातृ-शिशु अस्पताल में बच्चों की किलकारियां खूब गूंजी। कोरोना काल में सुरक्षित प्रसव कराना चुनौती था। लेकिन सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए प्रसव कराया गया। अनिता कुमारी ने बताया कि यहां सामान्य प्रसव की सारी सुविधाएं मौजूद हैं।

चौबीस घंटे एंबुलेंस, डॉक्टर व नर्स की मौजूदगी प्रसव की संख्या को गिरने नहीं देती है। इसके अलावा उन्हें दवाओं का भी मुफ्त में वितरण किया जाता है। जिसमें आयरन व कैल्सियम की गोली दी जाती है। जन्म लिए बच्चों को तत्काल बीसीजी, हेपेटाइटिस और ओपीवी का टीका लगा दिया जाता है। यहां प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) की भी व्यवस्था है। प्रसव के लिए आई महिलाओं को परिवार नियोजन के प्रति भी जागरूक किया जाता।