टीबी मरीजों के चेहरे पर मुस्कान ला रहीं नीलू कुमारी

टीबी मरीजों के चेहरे पर मुस्कान ला रहीं नीलू कुमारी

टीबी मरीजों के चेहरे पर मुस्कान ला रहीं नीलू कुमारी

P9bihar news 


प्रमोद कुमार 
शिवहर।
आशा और उम्मीद ही है, जिसकी बदौलत कुछ भी बदल सकते हैं। उम्मीद है तो कुछ भी हासिल करना संभव है। कुछ इसी सोच के साथ जिला यक्ष्मा केंद्र की वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षिका नीलू कुमारी अपनी ड्यूटी निभाते हुए सेवा का अलख जगा रही हैं। सरकार द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाने में पुरनहिया पीएचसी की एसटीएस नीलू कुमारी की कोशिश काबिलेतारीफ है। क्षेत्र में जागरूकता लाकर टीबी के खिलाफ लोगों को लड़ने की ताकत दे रहीं हैं।

कोरोना महामारी के दौरान भी गृह भ्रमण के दौरान समुदाय को जागरूक करने में उनकी भूमिका सराहनीय रही है। इनके प्रयास का सकारात्मक असर भी दिखने लगा है। घर-घर जाकर टीबी मरीजों की तलाश करना और लोगों को जागरूक करना नीलू का लक्ष्य है, जिसमें वो सफल हो रहीं हैं।नीलू कुमारी ने बताया कि उनके लिए न तो समय मायने रखता है और न ही मेहनत। हमेशा वह टीबी मरीजों की सेवा के लिए तत्पर रहती हैं।  इनके लिए जितना परिवार जरूरी है, उतना समाज भी।

नीलू ने बताया कि वे क्षेत्र में गृह भ्रमण कर मरीजों को नियमित दवा सेवन करने के लिए जागरूक करती हैं। मरीजों के संपर्क में रहने वाले परिवार के सदस्यों को भी दवा खाने के लिए प्रेरित करती हैं। टीबी के संभावित मरीज की जांच के लिए उसका सैम्पल कलेक्ट करती हैं और टीबी की पुष्टि होने पर उसके उपचार की व्यवस्था करवाती हैं। इसके साथ ही परिवार के सदस्यों को समझाती हैं कि टीबी रोगी के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करें। उसे प्यार और सहयोग दें। लोगों को बताती हैं कि यदि घर व पड़ोस में किसी को भी टीबी के लक्षण दिखे तो निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं। स्वास्थ्य केंद्र पर जांच एवं इलाज निःशुल्क उपलब्ध है।

नीलू ने बताया कि उन्हें शुरू से ही घर और परिवार का भरपूर साथ मिला है। इससे उन्हें ताकत मिलती है। घर-परिवार को साथ लेकर चलते हुए वे मरीजों की सेवा करना नहीं भूलती। उन्होंने बताया कि उनका एक आठ वर्ष का बेटा और एक 13 वर्ष की बेटी है। प्रतिदिन बच्चों को स्कूल भेजकर फील्ड में घंटों मरीजों के बीच समय बिताती हूं। उन्हें समझती हूं। नीलू ने बताया कि हम टीबी मरीजों के इतने पास होते हैं कि हमें संक्रमण की संभावना 90 प्रतिशत तक रहती है, पर मरीजों के चेहरे की मुस्कान जीवन के सारे दर्द को दूर कर देती है।