जिले में यौन हिंसा विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ आयोजन

जिले में यौन हिंसा विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ आयोजन

मोतिहारी,पू०च०।
जिला स्वास्थ्य समिति  के तत्वावधान में मोतिहारी केआईएमए हॉल में यौन हिंसा विषय पर स्वास्थ्य कर्मियों का विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें राज्य स्वास्थ्य समिति, पटना की डा अंशु, डॉ ज्योति ने प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में सामाजिक धारणाओं से जुड़े तथ्य व लोगों की अवधारणा की जानकारी दी गई।

जिसमें सिविल सर्जन डा अंजनी कुमार, उपाधीक्षक पीके वर्मा, जिला अनुश्रवण पदाधिकारी विनय कुमार सिंह सहित कई प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व अन्य स्वास्थ्य अधिकारी ने अपने विचार व्यक्त किए।डॉ अंशु कुमारी ने यौन विषय पर मेडिकल नियम, धारणाएं, एवं बलात्कार की स्थिति में सच प्राप्त करने एवं उस विषय की गहराई का तकनीकी रूप से समझने का तरीका समझाया। साथ ही क़ानूनी तथ्यों की जानकारी दी।

बलात्कार होने या न होने की स्थिति में पीड़िता की जांच की सही विधि, उससे जुड़े तथ्य प्राप्त करने का सही नियम, मेडिको लीगल पंजी का संधारण करने की सही विधि के साथ मेडिको लीगल परीक्षण करने की बातें बताई। उन्होंने बताया कि यौन शोषण से सम्बंधित सभी जानकारी सही सही प्राप्त करना भी ऐसे केस में बहुत आवश्यक होता है।सीएस ने बताया कि यौन हिंसा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है। साथ ही साथ यह शारीरिक चोट का भी कारण बन रही है।


सीएस डॉ कुमार ने यौन हिंसा के बारे में बताया कि यौन हिंसा जरूरी नहीं कि महिला के साथ ही हो। उन्होंने बताया कि किसी के यौन अंगों में बग़ैर उसकी मर्ज़ी के किसी अंग या वस्तु का हल्का प्रवेश भी बलात्कार कहलाता है। हल्की-फुल्की छेड़छाड़, बदतमीजी, अश्लीलता, छूने की कोशिश, फोन पर अभद्र टिप्पणी या संदेश भी यौन हिंसा की श्रेणी में आते हैं। दुनिया भर में 30 प्रतिशत महिलाएं नज़दीकी साथी द्वारा हिंसा, दुर्व्यवहार की शिकार होती हैं।

अपने साथी द्वारा शारीरिक या यौन दुर्व्यवहार की शिकार होने वाली 42 प्रतिशत महिलाएं इससे चोटिल हो जाती हैं।यौन हिंसा और तेजाब के हमले के उत्तरजीवी/पीड़ितों को चिकित्सा परिचर्या से मना करना, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 ग के साथ पठित भारतीय दंड संहिता की धारा 166 ख के तहत एक अपराध है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयू.एच.ओ.) यौन हिंसा को परिभाषित करता है

कि यह “किसी भी प्रकार की यौन क्रिया, यौन क्रिया करने का प्रयास, अवांछित यौन टिप्पणियां/प्रस्ताव तथा अवैध प्रयास या घर और दफ्तर सहित लेकिन उस तक ही सीमित नहीं, ऐसी किसी व्यवस्था में पीड़ित से कैसा भी संबंध होने के बावजूद किसी व्यक्ति द्वारा जबरदस्ती, नुकसान पहुँचाने की धमकी देकर या शारीरिक बल प्रयोग द्वारा किसी व्यक्ति की यौनिकता के खिलाफ किया गया कार्य है।

यौन उत्पीड़न में किसी व्यक्ति की सहमति के बिना गलत तरीके से उसके शरीर को छूने से लेकर जबरदस्ती संभोग तक शामिल किया जा सकता है ।