लीची व्यवसाय कमज़ोर होने से किसान मायूस और व्यापारी परेशान
लीची व्यवसाय कमज़ोर होने से किसान मायूस और व्यापारी परेशान
P9bihar news
हामिद रजा
मेहसी। मौसम के अनुकूल नही रहने के कारण समय से पहले ही सीजन समाप्त होने लगा है राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में धूम मचाने वाला मेहसी की शाही लीची का।लोगों के मुंह को मिठास पहुंचाने वाला यह शाही लीची 2023 में अनुपात से कम वर्षा होने के कारण तथा वर्षा ऋतु के अंत में बारिश होने से अधिकांश लीची में पत्ता आ गया जिसमे मंजर नही लगा।
मेहसी परिक्षेत्र में 50% से अधिक बगीचे में मंजर नहीं आया । 50% बगीचे में मंजर भी आया तो अप्रैल महीने में लगातार चल रहे पछिया हवा के कारण मंजर झर गए।यह हवा लीची के फसल को बहुत प्रभावित किया। साथ ही अप्रैल और मई महीने में बारिश नहीं होने के कारण लीची के दाना में बढ़ोतरी नहीं होने के वजह से प्रत्येक वर्ष 15 मई से तोड़े जाने वाला लीची इस वर्ष 22 मई के बाद टूटना शुरू हुआ और बहुत ही जल्द लीची के फसल चक्र समाप्ती की ओर चला गया।
लीची के फसल का उत्पादन कम होने की वजह से जहां किसान और व्यापारियों में उचित मोनाफ़ा नही होने के कारण चिंता झलक रही है। वहीं मजदूर को भी लगातार एक महीने तक चलने फसल चक्र में मिलने वाली मजदूरी में भी बहुत कमी आई है। लीची के फसल कम होने के वजह से उन राज्यों के फल मंडियों के साथ-साथ रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, राजमार्ग 28 के किनारे लीची काफी महंगा बिका है। जो दो सौ रुपिया से लेकर के ₹300 तक का सैकड़ा लीची की बिक्री हो रही है।
एक ओर मौसम की बेरुखी वहीं दूसरी ओर स्टीम बग(लाल कीटाणु) से फसल को काफी नुकसान हुआ है। किसान और व्यापारी अपने दम पर जनवरी महीने से ही लगातार स्टीम बग के आक्रमण के विरुद्ध छिड़काव कर अपने फसल को बचाया है।ज्ञात हो कि राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय बाजारों में प्रत्येक वर्ष पूर्वी चम्पारण जिले के एक मात्र फ्रूट सेन्टर के रूप में चर्चित मेहसी की शाही लीची को देश के
दिल्ली, गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ, अमृतसर, कोलकाता, हरियाणा, मुम्बई, चेन्नई मुम्बई सहित विदेशों में पहुंचाने के लिए व्यापारी वर्ग डेरा डाले रहते हैं।इस वर्ष मेहसी क्षेत्र में मौसम के प्रतिकुल प्रभाव के कारण लीची के अच्छे पैदावार नहीं होने व असमय लीची में कीड़े लग जाने के कारण व्यवसाय प्रभावित हुआ है। मेहसी की शाही लीची मुजफ्फरपुर की लीची पर भारी है। मेहसी सहित चम्पारण के किसानों के मेहनत का प्रतिफल है।