शिक्षा जगत के बेबाक बादशाह सारण के धरती पुत्र केदार पाण्डेय का निधन

शिक्षा जगत के बेबाक बादशाह सारण के धरती पुत्र केदार पाण्डेय का निधन

शिक्षा जगत के बेबाक बादशाह सारण के धरती पुत्र केदार पाण्डेय का निधन

P9bihar news 


सत्येेन्द्र कुमार शर्मा

सारण:- शिक्षा जगत के बेबाक बादशाह एक कुशल शिक्षक हसमुख चेहरा मिलनसार व्यक्ति सज्जनता  सहजता मधुरता विद्वता प्रखरता का प्रबल पूंज साम्यवादी सोंच के प्रहरी अत्यंत कुशल राजनेता बिहार विधान परिषद् के सदस्य पंडित केदारनाथ पाण्डेय  के देहावसान पर उनको शत-शत नमन करने वालों का तांता लगा हुआ है।समाजसेवी राजेश्वर कुंवर के उद्गार मेंं कहा है कि बिहार भोजपुरी अकादमी के सदस्य रहते हुए जब" पंडित महेंद्र मिश्र एवं स्वदेशी आन्दोलन " विषयक सेमिनार में एकता भवन छपरा के सभागार में बतौर अध्यक्ष उन्हें आमंत्रित किया गया जिसमें पूरे कार्यक्रम में उनका सानिध्य प्राप्त हुआ।


एक शिक्षक से शिक्षकों के जीवन संवारने मेंं अहम योगदान के धनी केदार पांडेय का निधन दिल्ली के एक अस्पताल में ह्रदय गति रुकने से हो गई।
सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से लगातार कई चक्र एमएलसी के पद पर निर्वाचित केदारनाथ पांडे का निधन हो गया उनके निधन से शोक की लहर दौड़ गई।


 बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ पटना के राज्य अध्यक्ष और बिहार विधान परिषद के सदस्य केदारनाथ पांडेय का निधन हो गया। दिल्ली के मेदांता अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। कुछ दिनों पहले उन्हें हार्ट अटैक आया था। जिसके बाद से दिल्ली के मेदांता में इलाजरत थे। वहीं रविवार की रात करीब डेढ़ बजे उन्हें दोबारा हार्ट अटैक आया। जिसके बाद उन्हें बचाया नहीं जा सका। दीपावली की सुबह केदारनाथ पांडेय के निधन की सूचना मिलने से माध्यमिक शिक्षक संघ में शोक की लहर दौड़ पड़ी। वे सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी रहे हैं। सीवान में वे शिक्षा शास्त्रा के अंशकालिक प्राध्यापक के रूप में भी अपनी सेवाएं दी है।

लम्बे समय से सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रियता रही थी।
केदारनाथ पांडेय हिन्दी साहित्य सम्मेलन सीवान के सचिव, भोजपुरी साहित्य सम्मेलन सीवान के सचिव और बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव पद पर लंबे समय तक रहे हैं। इसके अलावा वे भारत-सोवियत मैत्री संघ और भारत-जर्मन मैत्री संघ के भी सदस्य रहे हैं। भारतीय जननाट्य संघ के उपाध्यक्ष और बिहार प्रगतिशील लेखक संघ के भी पदाधिकारी रहे। जबकि बिहार विधान परिषद के 7 मई 2002 से अद्यावधि सदस्य और परिषद की निवेदन समिति के अध्यक्ष रहे।


कई पुस्तकों का लेखन और संपादन किया।केदारनाथ पांडेय की प्रकाशित कृतियों में हिन्दी नाटक पृथ्वी राज चौहान, कैकेयी, गुरु दक्षिणा, वीर शिवाजी, भोजपुरी नाटक ‘शुरुआत’ शामिल है। अन्य पुस्तकों में ‘मैल धुल जाने के गीत’, शिक्षा के सामाजिक सरोकार, शिक्षा को आंदोलन बनाना होगा, ‘यादों के पन्ने’, बीते दौर के भी गीत गाये जायेंगे, महाकाल की भस्म आरती और गांव से शहर जाती सड़क शामिल है। उन्होंने भोजपुरी पत्रिका ‘माटी के गमक’ का भी संपादान किया। इसके अलावा अनेक लेख और कहानियां विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।