कुपोषित बच्चों के लिए वरदान बन रहा पोषण पुनर्वास केंद्र

कुपोषित बच्चों के लिए वरदान बन रहा पोषण पुनर्वास केंद्र

कुपोषित बच्चों के लिए वरदान बन रहा पोषण पुनर्वास केंद्र

- अब तक 63 बच्चे हुए भर्ती, केवल नवम्बर  माह में 37 बच्चों को भर्ती कराया गया

P9bihar news 

प्रमोद कुमार 

बेतिया।

गंभीर कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने के लिए राज्य सरकार अब सरकारी अस्पतालों में भी बेहतर सुविधा उपलब्ध करा रही है। इस क्रम में नरकटियागंज स्थित 20 बेड वाला पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) कुपोषित बच्चों को नई जिंदगी देने में अहम भूमिका निभा रहा है। विदित हो कि कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें  सुपोषित करने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जाता है।

यहां बच्चों को इलाज के साथ-साथ बेहतर पौष्टिक आहार  भी दिया  जाता है। कुपोषित बच्चों को एनआरसी में रखकर इलाज व उनके लिए स्पेशल डाइट तैयार की जाती है। जिसमें सही मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज तत्व युक्त भोजन दिए जाते हैं। बच्चे मुख्यतः शिशु रोग विशेषज्ञ की देखरेख में रहते हैं। ये बातें  सिविल सर्जन डॉ बिरेंद्र कुमार चौधरी ने कही।

इस माह में 37 बच्चों को भर्ती कराया गया

एनआरसी नोडल अमित कुमार गुप्ता ने बताया कि इस वर्ष केवल नवंबर माह में 37 अतिकुपोषित बच्चों को चिन्हित किया गया और उन्हें   नरकटियागंज स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया।  इसमें बगहा -1 के 2, भितहा के 2, गौनहा के 19 व योगापट्टी के 14 बच्चे हैं। पिछले आठ माह में यहाँ कुल 63 बच्चे भर्ती कराये जा चुके हैं । 

पिछले 7 महीनों में 26 कुपोषित बच्चे हुए भर्ती

एनआरसी नोडल अमित कुमार गुप्ता से के अनुसार नवम्बर महीने से पहले नरकटियागंज स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में पिछले 7 महीने में कुल 26 कुपोषित बच्चों को भर्ती कराया गया । इसमें  अप्रैल में 4 , मई में 4, जून में 2, जुलाई में 1, अगस्त में 4, सितंबर में 7, अक्टूबर में 4 बच्चे शामिल हैं  । इन सात महीनों में पूर्व से इलाजरत 17 बच्चों को पोषित कर उनको घर भेजा जा चुका है।

कुपोषित शिशु हो रहे हैं स्वस्थ –

नरकटियागंज प्रखंड निवासी सीता कुमारी ने अपनी 7 महीने की पुत्री पूनम को अति कुपोषित होने के बाद नरकटियागंज स्थित एनआरसी में भर्ती कराया। एनआरसी एफडी आकाश कुमार तिवारी ने बताया कि 9 अगस्त को पूनम को एनआरसी में भर्ती कराया गया था। उस दौरान उसका वजन 6 किलो 500 ग्राम था जो कुपोषण का सबसे निचला स्तर माना जाता है।

उन्होंने बताया कि बेहतर इलाज और पौष्टिक आहार के माध्यम से 15 दिनों में पूनम के वजन में 500 ग्राम की वृद्धि हुई है जो काफी बेहतर है। इसी प्रखंड के कयामुल नेशा ने अपनी 1 वर्ष 6 महीने की पुत्री नुरैशा को 13 सितंबर को भर्ती कराया । इसका  वजन 7 किलो 450 ग्राम था,  जिसमें 17 दिनों में 750 ग्राम की वृद्धि हुई।

कुपोषण को दूर करने का प्रयास 

आईसीडीएस डीसी रिशु राज ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान मां को उचित आहार न मिलने की वजह से अक्सर बच्चे कुपोषित हो जाते हैं या फिर जन्म के बाद उचित आहार ना मिलने पर बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। वैसे बच्चों का पता लगाकर पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जाता है, जहां उचित देखभाल और पौष्टिक आहार के माध्यम से कुपोषण को दूर करने का प्रयास किया जाता है।