प्रसव के बाद स्तनपान के महत्व को बताया जा रहा है एएनएम दीदी द्वारा

प्रसव के बाद स्तनपान के महत्व को बताया जा रहा है एएनएम दीदी द्वारा

प्रसव के बाद स्तनपान के महत्व को बताया जा रहा है एएनएम दीदी द्वारा

P9bihar news 

सत्येन्द्र कुमार शर्मा,

सारण :- प्रसव के बाद स्तनपान के महत्व को एएनएम दीदी बता रही हैं।मां का पहला गाढ़ा दूध पिलाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है।जिले में स्तनपान सप्ताह चल रहा है।

 जिले में विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा  है । जिसके लिए स्वास्थ्य विभाग सहित कई सहयोगी संस्थाओं द्वारा प्रचार-प्रसार किया गया है। नवजात शिशुओं को आवश्यक रूप से देखभाल करने एवं धातृ महिलाओं  द्वारा स्तनपान कराए जाने की भूमिका सबसे अहम मानी जाती है। इसको लेकर जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों के साथ सामुदायिक स्तर पर भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

जिले  के सभी स्वास्थ्य केंद्रों के एमओआईसी, बीएचएम एवं बीसीएम को जागरूक कराने को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है। सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि  जन्म से 6 महीने तक केवल स्तनपान कराना जरूरी होता है। वहीं 6 महीने पूरे होने के बाद शिशुओं को स्तनपान के साथ उम्र के अनुसार ऊपरी पूरक आहार भी देना सुनिश्चित किया जाता है। हालांकि अभी भी छः महीने  तक केवल स्तनपान और छः महीने पूरे होने के बाद  शिशुओं को ऊपरी पूरक आहार देने से जुड़े कई तरह के गलत मिथक हैं।

इससे ज्यादातर माताएं छः महीने  तक अनिवार्य रूप से स्तनपान नहीं कराती हैं। वहीं कुछ माताएं 6 महीने पूरे होने के बाद स्तनपान के साथ ही विभिन्न प्रकार के ऊपरी पूरक आहार की शुरुआत नहीं करती हैं। यह गलत है और इसमें सुधार किया जाना चाहिए ताकि हर बच्चा पूरी तरह स्वस्थ और सुपोषित हो।


मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार: 

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेश चंद्र कुमार ने बताया कि नवजात शिशुओं के लिए एक घंटे के अंदर मां का पीला गाढ़ा दूध एवं लगातार छः महीने  तक केवल स्तनपान करना बहुत जरूरी होता है। यदि बच्चे को जन्म के पहले घंटे के अंदर मां का पहला पीला गाढ़ा दूध पिलाया जाए तो ऐसे शिशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता में काफ़ी वृद्धि होती है।

स्तनपान शिशु को डायरिया एवं निमोनिया जैसे गंभीर बीमारियों से बचाता है, जिससे नवजात शिशुओं के बेहतर पोषण की बुनियाद तैयार होती है। इससे शिशु मृत्यु दर में कमी आती है। मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार  है। इससे शिशुओं का  समुचित शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है। वहीं शिशुओं के वयस्क होने पर गैर संचारी रोगों के ख़तरे को कम करता है।

छः महीने तक अपने बच्चे को केवल स्तनपान कराएं:

गर्भवती महिलाओं को प्रसव के बाद महिला चिकित्सकों एवं नर्स के द्वारा एक घंटे के अंदर नवजात शिशुओं को स्तनपान सुनिश्चित कराने को लेकर अधिक ज़ोर दिया जाता है। स्तनपान कराने मात्र से शिशुओं में 32 प्रतिशत श्वसन से संबंधित संक्रमण के मामलों में कमी आती है।

इसके साथ ही धातृ माताओं को अस्पताल से डिस्चार्ज होने के समय माताओं एवं अभिभावकों को सलाह दी जाती है कि लगातार छः महीने तक अपने बच्चे को केवल स्तनपान कराएं। विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान अधिक से अधिक लोगों को स्तनपान के फायदों से अवगत कराने पर ज़ोर दिया जा रहा है।