25 साल से ढो रहे थे फाइलेरिया का बोझ, जहां तैनात थे वहीं मिली दवा
25 साल से ढो रहे थे फाइलेरिया का बोझ, जहां तैनात थे वहीं मिली दवा
अतुल कुमार
P9bihar news
बेतिया।
नौतन प्रखण्ड, धूम नगर कचहरी टोला गांव के निवासी सदर अस्पताल में सिविल सर्जन के आदेशपाल हैं। जब वह 25 साल के थे तभी उन्हें हाइड्रोसील में फाइलेरिया हुआ। शर्म और जागरूकता की कमी के कारण वह इस दंश को 25 सालों तक झेलते रहे।
दर्द और सूजन से तंग आकर उन्होंने अपनी बात सहकर्मी के साथ रखी। पिछले कुछ वर्षों से वह सदर अस्पताल के फाइलेरिया विभाग से ही अपनी जांच कराई। जहां फाइलेरिया होने की बात सामने आयी। अब वह वहीं इलाज करा रहे हैं। जिससे उनका सूजन और दर्द दोनों में ही बहुत आराम मिला है।
जिससे वह अब सामान्य जीवन जीने लगे हैं।ईद मोहम्मद कहते हैं हाइड्रोसील में फाइलेरिया का होना मेरे लिए बेहद दर्द भरा रहा। इसने मुझे लगभग अपंग ही बना दिया था। पैदल या साइकिल चलाने में भी दिक्कत होती थी। बहुत सारे डॉक्टरों को दिखाया पर कोई ठीक नहीं कर पाया।मुझे देख रहे चिकित्सकों ने कहा है कि दवाओं के इस्तेमाल से अभी आपको आराम होगा।
पर हाइड्रोसील में फाइलेरिया का मुख्य उपचार ऑपरेशन है जो कुछ और दिन की दवाइयों के सेवन के बाद होगा। ईद मोहम्मद कहते हैं कि जब से मेरे आस.पास के गांव समाज के लोग सुना कि मेरी हाइड्रोसील की बीमारी बहुत ठीक हो गई है तो लोग मेरे पास आने लगे। उन लोगों के मन में कई जिज्ञासाएं थी।
उनका निराकरण करता हूं। लोगों से बिना समय गवाएं सरकारी अस्पताल में जाने और वहां फाइलेरिया विभाग के स्वास्थ्य अधिकारी तथा कर्मियों से मिलकर अपने लक्षण दिखाने और बताने को कहता हूं।
जब मैं रोजाना लोगों को जागरूक करता हूं तो इस मुझे बहुत खुशी होती है और आत्म संतुष्टि मिलती है। साल में सर्वजन दवा के तहत डीईसी और अल्बें लडाजोल की गोली जरूर खानी चाहिए।