101 रसदार और फलदार पेड़ों का वृक्षारोपण किया गया

101 रसदार और फलदार पेड़ों का वृक्षारोपण किया गया

101 रसदार और फलदार पेड़ों का वृक्षारोपण किया गया

P9bihar news 

प्रमोद कुमार शर्मा 
मोतिहारी।
नि:शुल्क सेवा का सबसे बड़ा संस्थान सोशल स्माईल फाउंडेशन द्वारा विगत कई वर्षों से लगातार समाज, पर्यावरण और मानव विकास हेतु विभिन्न प्रकार के नि:शुल्क कार्य किया जा रहे हैं। जिसके तहत आज मोतिहारी मोतीझील के किनारे विभिन्न प्रकार के 101 रसदार और फलदार पेड़ों का वृक्षारोपण किया गया। इस वृक्षारोपण के कई उद्देश्य थे।

सबसे पहला पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करना और पेड़ लगा कर अपना दायित्व पर्यावरण के प्रति पूरा करना। दूसरा कारण यह था की मोतिहारी के बीचो-बीच मोतीझील के सोंधीकरण में अपना बहुमूल्य योगदान देना। क्योंकि सरकारी योजनाओं के नाम पर करोड़ों रुपया का खर्च मोतीझील पर हो जाता है, परंतु आज तक मोतीझील का सोंधीकरण नहीं हो सका।

जिसके तहत आसपास से गुजरने वाले लोगों को पेड़ के छाव मिलना तो दूर की बात, गंदगी से वहां गुजारना मुश्किल हो जाता है।सोशल स्माईल फाउंडेशन के सचिव आनंद प्रकाश ने बताया कि आजकल लोगों को लग रहा है की पंखा कुलर और एसी के सहारे जीवन हमारा कट जाएगा परंतु यह उनकी भूल है। आने वाला समय बहुत भयानक हो सकता है, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। इसलिए अपने घर के आसपास पेड़ लगाए और दूसरे को लगाने हेतु प्रेरणा दे।

अभी भारत में लगभग 500 करोड़ पेड़ों की लगाने की आवश्यकता है। क्योंकि वर्तमान में गर्मी के मौसम आते ही, भारत का तापमान विभिन्न जगहों पर 40 डिग्री सेल्सियस से लेकर 45 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है। अगर हम लोग जागरुक ना होंगे तो यह तापमान और भी बढ़ सकता है जिसमें मानव जीवन को रहना मुश्किल हो जाएगा।

वहीं फाउंडेशन के कोषाध्यक्ष संजीव कुमार ने बताया कि पर्यावरण बचाने हेतु वृक्षारोपण के साथ- साथ उसकी देखभाल भी अति आवश्यक है। क्योंकि एक साधारण पौधे को तैयार होने में लगभग 6 साल लग जाता है, अगर इसे समय- समय पर पानी और खाद ना दिया जाएं तो यह सुख भी सकता है। मानव विकास में इतना मगन हो चुका है कि पर्यावरण की रक्षा तो दूर की बात, हम लोग पर्यावरण को ही छेड़छाड़ कर रहे हैं।

बड़े-बड़े शहरों में बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बनाने के नाम पर सैकड़ो पेड़ को काट दिया जाता है और पर्यावरण बचाने के नाम पर छत पर एक गमला में एक छोटा सा फूल लगा दिया जाता है। क्या इससे हमारा पर्यावरण बच सकता है। इसलिए हम सबको जागरूक होना होगा।इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सचिन कुमार, आदित्य कुमार चौधरी, किशन कुमार साहनी, नितेश कुमार, वीरेंद्र शर्मा,आदित्य कुमार रघु, राज, मुन्ना जी का बहुत बड़ा योगदान रहा।