चिकित्सकों और नर्सों को लक्ष्य कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण

चिकित्सकों और नर्सों को लक्ष्य कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण


सत्येन्द्र कुमार शर्मा

सारण :- लक्ष्य कार्यक्रम के तहत चिकित्सकों और नर्सों को प्रशिक्षण दिया गया।
यूनिसेफ और केयर इंडिया के सहयोग प्रशिक्षण  आयोजित किया गया।
मातृ एवं नवजात शिशुओं में मृत्यु दर में कमी लाने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रसव कक्ष में महिलाओं को सम्मान पूर्वक देखभाल किया जायेगा।
भौतिक निरीक्षण कर 8 इंडिकेटरों की जांच होती हैं।
सुविधाओं की ब्रांडिंग के लिए मूल्यांकन किया जाता हैं।

छपरा सदर अस्पताल के छात्रावास कैंपस में जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा केयर इंडिया और यूनिसेफ के सहयोग से लक्ष्य कार्यक्रम के तहत एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। यूनिसेफ के राज्य प्रतिनिधि डॉ. नलिनीकांत तिवारी ने जिले के सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों और प्रसव कक्ष के नर्सों को ट्रेनिंग दी। प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविन्द कुमार के द्वारा किया गया।

डॉ. नलिनीकांत तिवारी ने बताया कि  स्वास्थ्य केंद्रों में गर्भवती महिलाओं के प्रसव के दौरान होने वाली परेशानियों को जड़ से समाप्त करने तथा प्रसव कक्ष की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा लक्ष्य कार्यक्रम की शुरुआत की गई है।

इस कार्यक्रम के तहत मातृ एवं नवजात शिशुओं में मृत्यु दर में कमी लाने, प्रसव के दौरान एवं उसके बाद गुणवत्ता में सुधार लाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों में सभी गर्भवती माताओं को सम्मानपूर्वक मातृव देखभाल की सुविधाएं उपलब्ध कराना इसका मुख्य लक्ष्य है।

भौतिक निरीक्षण कर 8 इंडिकेटरों की होती हैं जांच:
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने कहा कि संस्थागत प्रसव की दर में पहले की अपेक्षा काफ़ी बढ़ोतरी हुई हैं क्योंकि लक्ष्य कार्यक्रम को पूरी तरह से धरातल पर उतारा गया है। लक्ष्य योजना के तहत प्रमाणिकरण के लिए 362 मानकों (इंडिकेटर) की जांच की जाती हैं।

जिसमें मुख्य रूप से सर्विस प्रोविजन, रोगी का अधिकार, इनयूट्रस, सपोर्ट सर्विसेज, क्लीनिकल सर्विसेज, इंफेक्शन कंट्रोल, क्वालिटी मैनेजमेंट, आउटकम शामिल हैं। इन सभी आठों इंडिकेटर्स का कुल 362 उपमानको पर अस्पताल के प्रसव कक्ष एवं शल्य कक्ष का लगभग 6 से 9 महीनों तक लगातार क्वालिटी सर्किल (संस्थान स्तर पर), ज़िला कोचिंग दल (ज़िला स्तर पर), इसके अलावा क्षेत्रीय कोचिंग दल द्वारा लगातार पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण कर आवश्यकता अनुसार सभी स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाता है।

प्रशिक्षण के बाद अस्पताल का भौतिक निरीक्षण किया जाता  और यह देखा जाता कि प्रशिक्षण लेने के बाद स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा कार्य किया जा रहा हैं या नहीं। साथ ही उपरोक्त आठों इंडिकेटर्स के अनुरूप पंजी का संधारण व नियमानुसार समुचित ढंग से रखा जाता है या नहीं, इससे संबंधित निरीक्षण किया जाता हैं।


सुविधाओं की ब्रांडिंग के लिए किया जाता है मूल्यांकन:

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेशचंद्र कुमार ने बताया कि प्रसव कक्ष में देखभाल सुविधाओं के मूल्यांकन के बाद प्रसूति कक्ष और मैटरनिटी ऑपरेशन थियेटर में गुणवत्ता सुधार का मूल्यांकन राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) के माध्यम से किया जाना है । उसके बाद ही एनक्यूएएस पर 70% अंक प्राप्त करने वाली प्रत्येक सुविधाओं को लक्ष्य प्रमाणित सुविधा के रूप में प्रमाणित किया जाएगा।

इसके अलावा एनक्यूएएस स्कोर के अनुसार लक्ष्य प्रमाणित सुविधाओं की ब्रांडिंग की जाएगी। 70 से 80 तक स्कोर पाने वाले अस्पताल को सिल्वर की श्रेणी में रखा जाता है जबकि 81 से 90 तक स्कोर पाने वाले अस्पताल को गोल्ड की श्रेणी में रखा जाता है। वहीं 91 से 100 तक स्कोर पाने वाले अस्पताल को प्लेटिनम की श्रेणी में रखा जाता है।

इन सभी को श्रेणियों को प्रशस्ति पत्र व प्रोत्साहन के रूप में नकद राशि दी जाती है। इस मौके पर डीपीएम अरविन्द कुमार, उपाधीक्षक डॉ. एसडी सिंह, डीएमओ डॉ. दिलीप कुमार सिंह, डीपीसी रमेश चंद्र कुमार, यूनिसेफ के राज्य प्रतिनिधि डॉ. नलिनीकांत तिवारी, केयर इंडिया के डीटीएल संजय कुमार विश्वास, डीटीओ-एफ डॉ. रविश्वर कुमार, यूनिसेफ एसएमसी आरती त्रिपाठी समेत सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी मौजूद थे। 


इन मानकों पर तय किया जाता हैं पुरस्कार:
• अस्पताल की आधारभूत संरचना
• साफ-सफाई एवं स्वच्छता
• जैविक कचरा निस्तारण
• संक्रमण रोकथाम
• अस्पताल की अन्य सहायक प्रणाली
• स्वच्छता एवं साफ़-सफाई को बढ़ावा देना।