24 सप्ताह तक का गर्भ समापन कानूनी रूप से वैध

24 सप्ताह तक का गर्भ समापन कानूनी रूप से वैध

24 सप्ताह तक का गर्भ समापन कानूनी रूप से वैध

प्रमोद कुमार 

P9bihar news 
सीतामढ़ी।
सुरक्षित गर्भपात को बढ़ावा देने तथा इस विषय पर जन समुदाय में जागरूकता लाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ पंचायत प्रतिनिधियों का क्षमतावर्धन किया जा रहा है। इसी कड़ी में जिले के बथनाहा प्रखंड में प्रखंड विकास पदाधिकारी  कार्यालय में पंचायत प्रतिनिधियों की बैठक हुई। प्रखंड विकास पदाधिकारी अजीत कुमार की मौजूदगी में आयोजित इस बैठक में पंचायत प्रतिनिधियों को सुरक्षित गर्भपात की जानकारी दी गयी।

बैठक में साझा प्रयास नेटवर्क एवं  आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन की शोध अन्वेषण पदाधिकारी सीता कुमारी ने बताया  कि वर्ष 1971 से पूर्व किसी भी प्रकार का गर्भ समापन अवैध माना जाता था। गर्भ समापन में बड़ी कठिनाइयां  भी आती थी । अनेक तरह के घरेलू उपायों से गर्भ समापन करने की  प्रक्रिया में कई बार महिलाओं की  मृत्यु तक हो जाती थी।

उसे रोकने के लिए 1971 में एमटीपी एक्ट बना।सीता कुमारी ने बताया कि एमटीपी एक्ट 1971 के प्रावधानों के अनुसार, गर्भ समापन कुछ शर्तों के साथ वैध माना गया है, लेकिन इससे भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा था। इसलिए एमटीपी एक्ट में संशोधन किया गया। जिससे 20 सप्ताह के बदले अब 24 सप्ताह तक के गर्भ को कानूनी शर्तों के अनुसार समापन कराया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि पर्याप्त भ्रूण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भ समापन को मान्य किया गया है। किसी भी महिला या उसके साथी द्वारा प्रयोग किए गए गर्भनिरोधक तरीके की विफलता की स्थिति में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भ समापन सेवाएं दी जा सकेंगी। उन्होंने बताया कि 20 सप्ताह तक एमटीपी के लिए एक आरएमपी और 20 से 24 सप्ताह के लिए दो आरएमपी की राय चाहिए।

इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि इसके लिए गोपनीयता को कड़ाई से बनाए रखा जाना आवश्यक है। सीता कुमारी ने बताया कि झोलाछाप डॉक्टर, गांव के ओझा आदि से गर्भ समापन कराना अवैध और गैरकानूनी है। इसे लेकर समाज में जागरूकता लानी होगी।